राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता के तहत भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की खुदरा आभूषण बेचने वाली कंपनी गीतांजलि जेम्स के परिसमापन का आदेश दिया है. शेयर बाजार को दी गयी सूचना के अनुसार, पीठ ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) 2016 की धारा 33 के तहत यह आदेश दिया और सांतनु टी रे को परिसमापक नियुक्त किया. वह एनसीएलटी आदेश के अनुसार, आईबीसी, 2016 के प्रावधानों के अनुसार परिसमापन प्रक्रिया को पूरा करेंगे. 

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गीतांजलि जेम्स के समाधान पेशेवर विजय कुमार गर्ग ने एनसीएलटी में परिसमापन के लिए आवेदन दिया था. गर्ग ने न्यायाधिकरण को सूचित किया कि गीतांजलि जेम्स और उसके अधिकारियों की कथित धोखाधड़ी के कारण मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी कई जांच एजेंसियों कर रही हैं. उन्होंने कहा कि ईडी ने चोकसी की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश जारी किया था. 

गर्ग ने अपने आवेदन में न्यायाधिकरण को सूचित किया कि नियुक्ति के तुरंत बाद उन्होंने विभिन्न जांच अधिकारियों (प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई सहित) को पत्र लिखकर कंपनी ऋण शोधन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के लिए आगे बढ़ने को लेकर गीतांजलि जेम्स की संपत्तियों, शेयर और रिकॉर्ड तक पहुंच उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था. हालांकि, अधिकारियों ने गर्ग के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और सीआईआरपी के लिए गीतांजलि जेम्स की संपत्तियों पर कुर्की हटाने से इनकार कर दिया. 

उन्होंने कहा कि चूंकि सीआईआरपी की 180 दिन की अवधि अप्रैल, 2019 में ही समाप्त हो चुकी है और कंपनी कारोबार का संचालन नहीं कर पा रही है, इसलिए कंपनी के पुनरुद्धार की संभावना कम है. गर्ग ने इसके आधार पर परिसमापन प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया. उन्होंने परिसमापक के रूप में काम करने से भी इनकार कर दिया. एनसीएलटी ने अपने आदेश में कहा कि जारी जांच के कारण संपत्तियों की कुर्की हटने और दिवाला समाधान की कम संभावना के कारण, गीतांजलि जेम्स के परिसमापन का आदेश दिया जाता है.