डेयरी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अमूल (Amul) का मानना ​​है कि आगे जाकर बिजली, ‘लॉजिस्टिक्स’ और पैकेजिंग लागत के बढ़ते दबाव के चलते दूध कीमतों में मजबूती बनी रहेगी. एक बड़े अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. पीटीआई की खबर के मुताबिक, दूध की कीमतों के बारे में पूछे जाने पर अमूल के प्रबंध निदेशक (एमडी) आर एस सोढ़ी ने कहा कि कीमतें मजबूत रहेंगी. मैं यह नहीं कह सकता कि कितनी. वे यहां से घट नहीं सकतीं, केवल ऊपर जा सकती हैं. सोढ़ी ने कहा कि अमूल सहकारी कंपनी ने पिछले दो सालों में कीमतों में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, जिसमें पिछले महीने दूध की कीमतों में प्रति लीटर दो रुपये की बढ़ोतरी भी शामिल है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मुद्रास्फीति चिंता का कारण नहीं

खबर के मुताबिक, मुख्य मुद्रास्फीति बड़ी चिंता का विषय है जिससे नीति निर्माता जूझ रहे हैं. रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की द्विमासिक समीक्षा बैठक बुधवार को शुरू होने जा रही है. सोढ़ी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि उनके उद्योग में मुद्रास्फीति चिंता का कारण नहीं है, किसान को उनके उत्पाद के लिए उच्च कीमतों के माध्यम से फायदा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अमूल और व्यापक डेयरी क्षेत्र द्वारा की गई बढ़ोतरी दूसरों की तुलना में विशेषकर लागत में हुई बढ़ोतरी से बहुत कम है.

किसानों की प्रति लीटर आय भी बढ़ी

सोढ़ी ने कहा कि बिजली की बढ़ी कीमतें शीत भंडारण के खर्च को बढ़ाती हैं, जो लगभग एक-तिहाई से ज्यादा बढ़ गई हैं. लॉजिस्टिक्स लागत भी बढ़ी है और पैकेजिंग के मामले में भी ऐसा ही है. उन्होंने कहा कि इन दबावों के चलते दूध कीमत (milk price in india) में 1.20 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने जोर देकर कहा कि महामारी के दौरान किसानों की प्रति लीटर आय भी चार रुपये तक बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि अमूल इस तरह के दबावों से बेफिक्र है क्योंकि इस सहकारिता संस्था के लिए मुनाफा मुख्य उद्देश्य नहीं है.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

 

निर्यात में मिली बड़ी मदद 

सोढ़ी ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध जैसे वैश्विक घटनाक्रम भारतीय डेयरी क्षेत्र के लिए अच्छे हैं. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वैश्विक सप्लाई चेन बाधित होती है, वे भारतीय निर्यात में मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध के बिना भी अकेले महामारी से संबंधित व्यवधानों ने अमूल के निर्यात राजस्व (export revenue) को एक साल में तीन गुना बढ़कर 1,400 करोड़ रुपये से ज्यादा करने में मदद की है. अमूल जैविक खाद्य व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए तैयार है और फिलहाल इसका ट्रायल चल रहा है. उन्होंने कहा कि कंपनी हर उस गतिविधि में रुचि रखती है जो खेती और कृषि से जुड़े हैं.