'मेक इन इंडिया' अभियान को बढ़ावा देते हुए 4 से 5 विदेशी कंपनियों ने बुलेटप्रूफ जैकेट विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के संयंत्र लगाने की इच्छा जताई है. नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने यह बात कही. सारस्वत रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख भी रह चुके हैं. सारस्वत ने कहा कि बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने वाली भारतीय कंपनियां कम कीमत की वजह से चीन से कच्चे माल का आयात करती हैं. 

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सारस्वत ने पीटीआई को बताया, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने नीति आयोग को बुलेट प्रूफ जैकेट (हल्के रक्षा कवच) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के लिए कहा था. भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने भारतीय सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली जैकेट के लिए गुणवत्ता मानदंडों को अंतिम रूप दे दिया है. उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति बनी है कि भविष्य में बुलेट प्रूफ जैकेटों के लिए निविदा बीआईएस मानदंडों के अनुसार आमंत्रित की जाएगी. 

उन्होंने कहा, ‘‘जिन विदेशी कंपनियों ने सेना के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने में लगने वाले कच्चे माल का उत्पादन करने के लिए भारत में इकाई स्थापित करने की इच्छा जाहिर की है, उनसे गठजोड़ करने की कोशिश की जा रही है.’’ सारस्वत ने कहा, ‘‘अब तक चार से पांच विदेशी कंपनियों ने भारत में इकाई लगाने की इच्छा जताई है. हालांकि अभी इन कंपनियों का नाम बताना जल्दबाजी होगा.’’ 

सरकार के अनुमानों के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बलों को तीन लाख से ज्यादा जैकेटों की जरूरत होगी. सारस्वत ने कहा कि इसके आधार पर सशस्त्र बलों ने बुलेटप्रूफ जैकेटों के उत्पादन के लिए भारत में निजी कंपनियों को ऑर्डर दे दिया है. भारतीय कंपनियां पहले बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए कच्चा माल अमेरिका और यूरोप से खरीदती थीं. अब कीमतें कम होने की वजह से वे चीन से माल खरीदती हैं.

(एजेंसी इनपुट के साथ)