निवेशक भारत में रीयल एस्टेट क्षेत्र में निवेश पर बेहतर रिटर्न मिलने को लेकर आश्वस्त हैं. इसकी वजह 'जीएसटी' और 'रेरा' जैसी थोड़े समय के लिए रुकावट खड़ी करने वाली लेकिन अच्छी नीतियों के कारण बाजार में पारदर्शिता का आना है. रीयल एस्टेट उद्योग से जुड़े जानकारों ने यह बात कही. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री रीयल एस्टेट कमेटी के अध्यक्ष संजय दत्त ने कहा, "कैनेडियाई पेंशन कोष, कतर कोष, जीआईसी और सिंगापुर की टेमासेक की हालिया निवेश के बाद अब सरकारी एवं पेंशन कोष समेत विदेशी संपत्ति कोष भारत में निवेश करने पर विचार कर रहे हैं. " 

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दत्त ने कहा, "अब हमारे पास सही नीतियां हैं. "उन्होंने जोर देते कहा कि डेवलपर्स के पास निवेशकों के सामने पेश करने के लिए ट्रैक रिकॉर्ड हैं, निवेशक नियामकीय एवं कराधान व्यवस्था को समझ सकते हैं और मांग तथा मुद्रा जोखिमों का पता लगा सकते हैं. 

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ओमेक्स के कार्यकारी अधिकारी मोहित गोयल ने कहा, "रीयल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम यानी रेरा और जीएसटी लागू होने के बाद सभी डेवलपरों कॉरपोरेट तरीके से काम कर रहे हैं और परियोजनाओं की डिलिवरी में देरी नहीं कर रहे हैं. इससे बैंकों का कंपनियों को ऋण देने का भरोसा बढ़ा है. " गोयल का मानना है कि तीन साल में रेरा और जीएसटी के सुव्यवस्थित होने और सौदों में पारदर्शिता आने से बैंक डेवलपरों को जमीन अधिग्रहण के लिए पूंजी देना शुरू करेंगे.