देश के सात प्रमुख शहरों में पिछले पांच साल के दौरान घरों के दाम में सात प्रतिशत का मामूली इजाफा हुआ है, जबकि इस दौरान इनकी मांग 28 प्रतिशत घटी है. इसी तरह घरों की आपूर्ति में इस दौरान 64 प्रतिशत की गिरावट आई है. ब्रोकरेज कंपनी एनारॉक की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. मौजूदा सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान रीयल एस्टेट क्षेत्र के प्रदर्शन के विश्लेषण के आधार पर एनारॉक के संस्थापक एवं चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि इस दौरान क्षेत्र में कई सुधार किए गए और भारतीय रीयल एस्टेट क्षेत्र की छवि सुधारने को कई कदम उठाए गए. 

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उन्होंने कहा कि नोटबंदी, नया रीयल एस्टेट कानून रेरा और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से शुरुआत में कुछ दिक्कतें हुईं लेकिन दीर्घावधि में इनसे लाभ हुआ. आवास क्षेत्र के परिचालन प्रदर्शन के बारे में पुरी ने कहा कि प्राथमिक बाजारो में मूल्य करेक्शन के बजाय ‘टाइम करेक्शन’ अधिक देखने को मिला. 

पिछले पांच साल के दौरान सात प्रमुख शहरों में घरों के दाम औसतन सात प्रतिशत बढ़े. उन्होंने कहा कि यदि मुद्रास्फीति को शामिल किया जाए तो वास्तव में घरों के दाम कम हुए हैं. 

ये सात शहर हैं- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे. इन पांच साल में नई आवासीय इकाइयों की आपूर्ति 2014 के 5.45 लाख इकाई से 64 प्रतिशत घटकर 2018 में 1.95 लाख इकाई रह गई. इस दौरान घरों की बिक्री 28 प्रतिशत घटकर 3.43 लाख से 2.48 लाख इकाई रह गई. 

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