उद्योग जगत ने शुक्रवार को कहा कि जीएसटी परिषद के लिए अप्रत्यक्ष कर का दायरा बढ़ाने और सभी क्षेत्रों को इसके अंतर्गत लाने तथा कर स्लैब को युक्तिसंगत बनाने का सही समय है. पेट्रोलियम उत्पाद, बिजली और मानवीय खपत के लिये अल्कोहल जैसी कुछ चीजें माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे से बाहर हैं. उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘संबंधित संस्थागत प्रणाली आने के साथ जीएसटी परिषद के लिये सभी क्षेत्रों को माल एवं सेवा कर के दायरे में लाने तथा कर स्लैब को बेहतर बनाने का उपयुक्त समय है.’’ 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जीएसटी परिषद ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण (एनएए) का कार्यकाल दो साल के लिए नवंबर, 2021 तक बढ़ा दिया है. इसके साथ ही परिषद ने जीएसटी पंजीकरण हासिल करने के लिए आधार के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल और दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं देने वाली कंपनियों पर 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाने की भी मंजूरी दी गई है. 

इसके अलावा परिषद ने बिजली चालित वाहनों और उनके चार्जरों पर जीएसटी दर में कटौती का मामला अधिकारियों की एक समिति को भेजा गया है. फिक्की ने कहा, ‘‘सरकार ने जीएसटी नियमों के सरलीकरण और दरों को युक्तिसंगत बनाने समेत माल एवं सेवा कर के दायरे में और वस्तुओं को लाने के संदर्भ में जो विचार रखे हैं, वह वास्तव में सही दिशा में कदम है. 

इससे जीएसटी के अंतर्गत सरलीकरण और स्थिरता का रास्ता साफ होगा.’’ बनर्जी ने यह भी कहा कि जीएसटी परिषद ई-इनवॉयस पेश करने के निर्णय से कर भुगतान में दक्षता आएगी और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि सालाना रिटर्न भरने की समयसीमा बढ़ाये जाना सही कदम है.