Shortage of containers: कंटेनर की कमी से निपटने के लिए सरकार ने प्लान तैयार किया है. इसकी कमी से निपटने के लिए बल्क एक्सपोर्ट पर फोकस किया जाएगा. वहीं container का Turn Around Time घटाने के लिए रेलवे, शिपिंग और सड़क परिवहन मंत्रालय से बात हो रही है. रेलवे से कहा गया है कि वह वैगन का इस्तेमाल करे. वहीं एग्री प्रोडक्ट एक्सपोर्ट के TMA (Transport & Management Assistance Scheme) योजना को 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया गया है. एग्री एक्सपोर्ट के लिए आर्थिक सहायता देने पर विचार किया जा रहा है. वहीं स्टील कंपनियों को कंटेनर बनाने के लिए इंसेंटिव पर भी चर्चा चल रही है. ज़ी बिजनेस ने सबसे पहले 29 अगस्त को बताया था कि सरकार ने इसकी कमी से निपटने के लिए योजना तैयार की है. 

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एग्री एक्सपोर्ट के लिए खास व्यवस्था

जल्द खराब होने वाले प्रोडक्ट के लिए TMA (ट्रांसपोर्ट एंड मैनेजमेंट असिस्टेंस स्कीम) योजना का extension होगा. मार्च में योजना की एक्सटेंशन डेडलाइन खत्म हो रही है. एग्री प्रॉडक्ट के एक्सपोर्ट के लिए आर्थिक सहायता देने पर विचार किया जा रहा है. बल्क एक्सपोर्ट (bulk export) पर कम से कम कंटेनर का इस्तेमाल हो इसके लिए शिप की जगह का इस्तेमाल किया जाएगा. चावल, चीनी, रूई जैसे सामान जिनको सीधा लादा जा सकते हैं उन्हें वैसे ही एक्सपोर्ट के लिए व्यवस्था की प्लानिंग है.

इसपर भी हो रहा है विचार

रेलवे को माल ढुलाई के लिए कंटेनर की बजाय वैगन का इस्तेमाल के लिए कहा गया है जिससे कंटेनर जल्द से जल्द खाली हो सके. मंत्रालय के अधिकारी, बड़े पोर्ट्स, और शिपिंग कंपनियां इनके साथ मिलकर इसके गैर जरूरी मूवमेंट को रोकने की कोशिश करेंगे. कंटेनर प्रोडक्शन में स्टील कंपनियों को कंटेनर बनाने के लिए इंसेंटिव भी दिया जा सकता है. लॉन्ग टर्म प्लान के तहत इसपर विचार विचार किया जा रहा है.

बहुत कम कंटेनर का होता है निर्माण 

दरअसल फिलहाल देश में बहुत कम होता कंटेनर का निर्माण होता है. कल (20 सितंबर, 2021) ही सरकार ने घोषणा की है कि एक्सपोर्ट्स की सहूलियत के लिए एक 24 घंटे की हेल्पलाइन शुरू की जाएगी. जिसमें मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए उसपर फैसला किया जाएगा. 

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