Remdesivir Injection: कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही रेमडेसिविर इंजेक्शन की एक बड़ी खेप बर्बाद हो सकती है. जबकि देश के कई शहरों में इसकी किल्लत बनी हुई है. दरअसल, कई कंपनियों ने एक्सपोर्ट NOC के तहत रेमडे​सिविर इंजेक्शन का बड़ा स्टॉक बनाकर तैयार रखा है. अब सरकार की तरफ से इसके एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगा दी गई है. ऐसे में ये स्टॉक न तो देश से बाहर जा सकते हैं, और न हीं इन्हें घरेलू बाजार में बेचा जा सकता है. देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की बढ़ती डिमांड के बीच माना जा रहा है सरकार इस मामले में दखल दे सकती है.  

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कंपनियां पैकेजिंग बदलकर सप्लाई को तैयार

सूत्रों के मुताबिक, रेमडेसिविर के एक्सपोर्ट पर पाबंदी के चलते एक्सपोर्ट NOC के तहत बने स्टॉक  को नष्ट करने की नौबत आ गई है. अगर सरकार ने नियम नहीं बदले तो करीब 3 लाख इंजेक्शन नष्ट हो जाएंगे. नियम यह भी कहता है कि एक्सपोर्ट NOC के तहत बने स्टॉक की घरेलू बाजार में बिक्री भी नहीं हो सकता है. 

लाइसेंस की शर्तें सख्त

सूत्रों के मुताबिक कंपनियों का कहना है कि सरकार की तरफ से मंजूरी मिलती है तो पैकेजिंग बदलकर घरेलू बाजार में इसकी बिक्री की जा सकती है, इससे सप्लाई में भी इजाफा होगा. सूत्रों ने बताया कि लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक एक्सपोर्ट रद्द तो एनओसी के तहत बना स्टॉक नष्ट करना होगा. इसकी सप्लाई WTO पेटेंट नियमों के दायरे से बाहर के देशों को होती थी. 

रेमडेसविर के प्रोडक्शन में दिक्कतें क्यों?

जानकारी के अनुसार, रेमडेसिविर की जनवरी तक कम डिमांड होने से प्रोडक्शन घट गया था. स्टॉक को फैक्ट्री से निकलकर मार्केट तक आने में 3 हफ्ते का समय लगता है. वहीं, पाउडर से दवाई बनाने में करीब 72 घंटे तक लगते हैं. 15 दिन बैक्टीरिया, एल्गी, फंगस, प्रोटोजोआ से जुड़े टेस्ट किए जाते हैं. इसके बाद 3-4 दिन का वक्त फैक्ट्री से निकलकर डिस्ट्रीब्यूशन तक आने में लगता है.

सरकार दे सकती है दखल

माना जा रहा है कि घरेलू बाजार में रेमडेसिविर की किल्लत को देखते हुए सरकार इस माममे में दखल दे. मुमकिन है कि वित्त मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय को भी दखल देना पड़े, क्योंकि एक्सपोर्ट के लिए रेमडेसिविर बनाने के लिए रॉ मैेटेरियल का इंपोर्ट, ड्यूटी फ्री इंपोर्ट अथराइजेशन नियमों के तहत हुआ है. ऐसे रॉ मैटेरियल से बने प्रोडक्ट को सामान्य तौर पर घरेलू बाजार में नहीं उतारा जा सकता है. ऐसे में अगर स्टॉक को बर्बादी से बचाना है तो सरकार को नियम में ढील देने का फैसला करना होगा.

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