रिटेलर्स की लंबे समय से मांग है कि ई-कॉमर्स कंपनियां द्वारा भारी डिस्काउंट देने से उनके व्यापार को नुकसान हो रहा है. इस वजह से ई-कॉमर्स पर सख्त नियम लागू किए जाएं. उन्होंने ई-कॉमर्स के डिस्काउंट मॉडल को नियमों के खिलाफ बताया है और कहा है कि ऑनलाइन तथा ऑफलाइन में समान नियम जरूरी हैं.

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रिटेलर्स ने वाणिज्य मंत्री ने कहा कि ई-कॉमर्स की वजह से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है. ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफार्म का गलत इस्तेमाल कर रही हैं. इस मुद्दों को लेकर देश भर के रिटेल एसोसिएशन ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक हुई. उनका आरोप है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के सीधे रिटेल कारोबार में उतरने की मनाही है, लेकिन वे बैक चैलन के जरिए ऐसा कर रही हैं.

माना जा रहा है कि मोदी सरकार आगामी बजट सत्र के दौरान नई ई-कॉमर्स पॉलिसी को अमली जामा पहना सकती है. इसके तहत डाटा के दुरुपयोग और अतार्किक डिस्काउंट को रोकने पर विचार किया जा सकता है. खुदरा कारोबारियों की मुख्य शिकायत भी ई-कॉमर्स के भारी डिस्काउंट को लेकर ही है.

कारोबारियों का कहना है कि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को रेग्युलेट करने और इसकी निगरानी करने के लिए एक नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाना चाहिए जो ई-कॉमर्स नीति का उल्लंघन करने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करे.