e-commerce latest news: उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Ministry of consumer affairs) की तरफ से तैयार किए गए ई-कॉमर्स नियमों (draft e-commerce rules) के ड्राफ्ट (मसौदे) को लेकर सरकार के भीतर अलग-अलग राय और गहरा मतभेद है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, एक बड़े सरकारी अधिकारी बुधवार को यह जानकारी देते हुए चिंता जताई कि नियमों में लगातार बदलाव से अनिश्चितता पैदा होती है. उन्होंने बताया कि इस तरह का गैर-जरूरी भय पैदा किया जा रहा है कि सरकार की वर्तमान ई-कॉमर्स नीति छोटे व्यापारियों को आहत कर रही है.

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नीतियों में लगातार बदलाव से पड़ता है फर्क

खबर के मुताबिक, अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से तैयार उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों के मसौदे (e-commerce rules draft) पर सरकार में काफी मतभेद हैं. नीतियों में लगातार बदलाव से बहुत अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न होती है. धोखाधड़ीपूर्ण फ्लैश बिक्री और गलत बिक्री पर प्रतिबंध, मुख्य अनुपालन अधिकारी/शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति जैसे फैसले उपभोक्ता संरक्षण (e-commerce) नियम, 2020 में प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों में से हैं.

6 जुलाई तक सार्वजनिक टिप्पणी मांगी थी 

मंत्रालय ने मसौदा नियमों को लेकर 6 जुलाई तक सार्वजनिक टिप्पणी मांगी थी और बाद में समय सीमा को बढ़ाकर 21 जुलाई कर दी थी. अधिकारी ने कहा कि प्रतिस्पर्धा से जुड़ा मामला उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत नहीं आता है और ये मुद्दे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के तहत आते हैं. उन्होंने कहा कि अनुमानित 7 करोड़ व्यापारियों में से 85 प्रतिशत छोटे व्यापारी हैं, जो वर्तमान ई-कॉमर्स नीति से लाभान्वित हो रहे हैं.

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ज्यादा रोजगार पैदा होंगे

अधिकारी ने कहा कि ई-कॉमर्स के आधुनिकीकरण से और ज्यादा रोजगार पैदा होंगे और आर्थिक बढ़ोतरी भी तेज होगी. इसके साथ ही 85 प्रतिशत छोटे व्यापारियों का मुनाफा भी बढ़ेगा. उपभोक्ता मामलों के सचिव लीना नंदन ने हाल ही में कहा था कि सरकार नियमों को आखिरी रूप देते हुए संतुलित रुख अपनाएगी. प्रस्तावित नियमों में संशोधन को लेकर व्यापक और विविध प्रकार की टिप्पणियां मिलीं.