भारत को जल्‍द ही Pfizer की COVID-19 vaccine मिल सकती है. फाइजर सरकार के साथ इसको लेकर बातचीत कर रही है. कंपनी ने कहा है कि वह भारत के वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम को मदद करने के लिए तैयार है. अगर फाइजर के साथ बातचीत नतीजे पर पहुंचती है, तो यह भारत में चौथी कोविड19 वैक्‍सीन होगी. देश में आगामी 1 अप्रैल से 18 साल से ज्‍यादा उम्र के सभी लोगों का कोविड19 वैक्‍सीनेशन शुरू हो जाएगा. वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम में वैक्‍सीन की सप्‍लाई की दिक्‍कत न आए, इसके लिए मोदी सरकार ने विदेश में बनी वैक्‍सीन को फास्‍ट ट्रैक मंजूरी देने का फैसला किया है.

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अभी भारत में दो वैक्‍सीन ऑक्‍सफोर्ड एस्‍ट्राजेनेका की कोविशील्‍ड और भारत बायोटेक की स्‍वदेशी कोवैक्‍सीन की सप्‍लाई हो रही है. कोविशील्‍ड का उत्‍पादन भारतीय कंपनी सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है. इसके अलावा, रूसी वैक्‍सीन स्‍फूतनिक (Sputnik V) को भी मंजूरी मिल गई है. भारत में स्‍फूतनिक की बिक्री डॉ. रेड्डीज लेबोरेट्रीज करेगी. अगले महीने से इसका इम्‍पोर्ट शुरू हो सकता है. 

बिना मुनाफे सप्लाई करने का ऑफर

रॉयटर्स के मुताबिक, फाइजर भारत के साथ वैक्सीन सप्लाई पर बातचीत कर रही है. सबसे अहम बात है कि फाइजर ने भारत को बिना किसी मुनाफे के वैक्सीन सप्लाई करने का ऑफर दिया है. अगर सरकार और फाइजर के बीच बातचीत नतीजे पर पहुंच जाती है तो जल्‍द ही इसका भारत में इम्‍पोर्ट शुरू हो सकता है. बता दें, फाइजर ने इस साल फरवरी में भारत में अपनी कोविड19 वैक्‍सीन के इमरजेंसी इस्‍तेमाल की मंजूरी का आवेदन वापस ले लिया था. घरेलू रेग्‍युलेटरी ट्रॉयल के मानकों को पूरा नहीं कर पाने के चलते कंपनी ने ऐसा कदम उठाया था. हालांकि, इसके बावजूद फाइजर भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखे हुए है. 

विदेशी वैक्‍सीन का रास्‍ता आसान 

केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल को विदेश में बनी कोरोना वैक्सीन को आवेदन के तीन दिन के भीतर देश में इमर्जेंसी इस्तेमाल की मंजूरी का फैसला किया. इसके मुताबिक, विदेश में बनी वैक्सीन को आपात मंजूरी के साथ ही क्लिनिकल ट्रायल के लिए भी आवेदन करना होगा.  केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) इसके लिए सात दिनों के भीतर मंजूरी प्रदान करेगा. संबंधित कंपनी को परीक्षण के नतीजे सीडीएससीओ के सामने दिखाने होंगे.

सरकार ने 13 अप्रैल को ऐलान किया था कि विदेशों में बनी उन सभी वैक्सीन को बिना क्लिनिकल ट्रायल के देश में मंजूरी मिलेगी जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और जापान के ड्रग रेग्युलेटर से मंजूरी मिली हुई है या जो डब्ल्यूएचओ की आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल हैं. ऐसी वैक्सीन को पहले 100 लोगों पर इस्तेमाल के बाद सात दिन तक निगरानी की जाएगी और सही नतीजों के बाद ही टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा. इससे देश में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ेगी. 

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