सरकार ने कोरोना संकट को देखते हुए कंपनियों की सालाना बैठक AGM बुलाने की मियाद में रियायत दे दी है. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के अधीन सभी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ (Roc) ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं. 

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आदेश में कहा गया है कि 31 मार्च 2020 को खत्म कारोबारी साल के लिए कंपनियां दिसंबर 2020 तक सालाना बैठक बुला सकती हैं. नियमों के तहत कारोबारी साल खत्म होने के 6 माह के अंदर सालाना बैठक बुलाना ज़रूरी होता है. जबकि नई कंपनियों की पहली सालाना बैठक के लिए कारोबारी साल खत्म होने के 9 माह तक वक्त दिया जाता है. इस बारे में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ के पास तय तारीख के ऊपर 3 माह तक विस्तार देने का अधिकार कंपनीज़ एक्ट के तहत होता है.  

रियायत क्यों? 

कोरोना संकट के बीच कंपनियों, प्रोफेशनल्स और कारोबारी संगठनों की ओर से मिल रही अर्ज़ियों को देखते हुए ये रियायत दी गई हैं. हालांकि ये रियायत कंपनियों के पहली बार होने वाली सालाना बैठक पर लागू नहीं होगी. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने पिछले महीने एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि अगर कंपनियां तय समय सीमा में सालाना बैठक नहीं बुला पाती हैं तो 29 सितंबर तक रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास अर्ज़ी दें.  

सबको मिलेगी रियायत

कंपनियों को सालाना कारोबारी साल आयोजित करने की रियायत को लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ को अब कोई अर्ज़ी देने की ज़रूरत नहीं होगी. बल्कि इससे सभी कंपनियों को अपने आप मोहलत मिल जाएगी. जिन कंपनियों ने सालाना बैठक के विस्तार की अर्ज़ी दे रखी है उन्हें भी अपने आप मोहलत मिल जाएगी. साथ ही अगर किसी किसी कंपनी की इसी मामले पर अर्ज़ी नामंजूर हो गई थी तो वे अब मंजूर मान ली जाएगी.  

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क्या कहता है कानून 

कंपनीज़ एक्ट के सेक्शन 96 के तहत सिंगल पर्सन कंपनियों को छोड़ सभी कंपनियों के लिए सालाना बैठक करना ज़रूरी है. ताकि कंपनियां सालाना रिपोर्ट, वित्तीय खातों की मंजूरी, नए डायरेक्टर्स की नियुक्ति, डिविडेंड को मंजूरी, ऑडिटर्स की नियुक्ति और उसकी फीस की मंजूरी जैसे फैसलों पर शेयरहोल्डर्स की मुहर लगवा सकें. साथ ही अगर कोई विशेष प्रस्ताव हो तो उसे भी पास करा सकें. नियम न मानने पर जुर्माना का भी प्रावधान किया गया है.