संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है. ऐसे में गैर कॉर्पोरेट क्षेत्र में देश भर में काम कर रहे लगभग 7 करोड़ छोटे कारोबारियों को नई केंद्र सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं. व्यापारियों को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी. कारोबारियों की मांगों को लेकर व्यापारियों के राष्ट्रीय संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से एक एजेंडा तैयार कर सरकार को भेजा गया है.

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खुदरा व्यापार के लिए राष्ट्रीय नीति की मांग

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि यह उम्मीद है कि सरकार जल्द ही खुदरा व्यापार के लिए राष्ट्रीय व्यापार नीति तैयार करेगी और देश में व्यापार के पर्याप्त अवसरों को सुनिश्चित करने के साथ राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन करेगी. ये देश के व्यापारियों और सरकार के बीच एक सेतु का काम करेगा. जीएसटी का सरलीकरण और युक्तिकरण एक और मुख्य मुद्दा है.

जीएसटी को और सरल किया जाए

कैट ने मांग की है कि जीएसटी के तहत रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जाना चाहिए ताकि एक साधारण व्यापारी भी इसका पालन कर सके. वहीं जीएसटी में मासिक रिटर्न के बजाय त्रैमासिक रिटर्न होना चाहिए.  जीएसटी के तहत अलग-अलग टैक्स स्लैब की समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि कई आइटम एक-दूसरे को ओवरलैप कर रहे हैं. कच्चे माल पर कर की दर उसके तैयार उत्पादों की कर दर से अधिक नहीं होनी चाहिए. ऑटो पार्ट्स, एलुमिनियम बर्तन और सीमेंट, मार्बल, पेंट आदि जैसी वस्तुओं को 28% कर स्लैब से बाहर निकाला जाना चाहिए और किफायती आवास को बढ़ावा देने के हर तरह के कंस्ट्रक्शन के सामान को कम कर स्लैब में रखा जाना चाहिए. जीएसटी समितियों का गठन जिला स्तर पर किया जाना चाहिए और व्यापारियों को जीएसटी परिषद में प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए.

कार्ड से भुगतान पर लगने वाला शुल्क खत्म हो

 खंडेलवाल के अनुसार व्यापारियों और उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल भुगतान को अपनाने और स्वीकार करने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. इसके लिए कार्ड भुगतान लेनदेन पर लगाए गए बैंक शुल्क को सरकार द्वारा सीधे बैंकों को सब्सिडी दी जानी चाहिए ताकि व्यापारियों या उपभोक्ताओं पर कोई वित्तीय भार न हो. डिजिटल भुगतान के अधिक उपयोग के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. बोझिल प्रक्रिया के कारण व्यापारियों को बैंकों से आसान वित्त नहीं मिल रहा है.

मुद्रा योजना को और प्रभावी बनाया जाए

व्यापारियों की मांग है कि मुद्रा योजना को अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए और मूल योजना के अनुसार और प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार, व्यापारियों को ऋण देने के लिए एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीटूशन को व्यापारियों को लोन देने के लिए अधिकृत किया जाना चाहिए. मुद्रा योजना के लिए सेबी जैसा एक अलग नियामक होना चाहिए. लगभग 4% छोटे व्यवसाय बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में सक्षम हैं और बाकी व्यापारी निजी धन उधारदाताओं या अन्य अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं.

व्यापारियों को कंप्यूटर खरीदने को मिले सब्सीडी

खंडेलवाल के अनुसार सरकार डिजिटलाइजेशन पर जोर दे रही है. सरकार के इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए. लेकिन अब तक सिर्फ 35% छोटे व्यवसायों ने अपने आपको कम्प्यूटरीकृत किया है. ऐसी स्थिति में बाकी व्यापारियों को कंप्यूटर से जोड़ना आवश्यक है और इसलिए सरकार को व्यापारियों को कंप्यूटर और अन्य संबद्ध उपकरणों की खरीद के लिए 50% सब्सिडी प्रदान करनी चाहिए.