अपने लॉन्चिंग के कुछ दिनों बाद ही विवाद में आई बाबा रामदेव की कोरोनिल टैबलेट को उत्तराखंड सरकार की ओर से कोरोना प्रबंधन के सहायक उपाय के रूप में मंजूरी दी गई है. सरकार ने संसद को बताया कि पतंजलि की टैबलेट दिव्य कोरोनिल को उत्तराखंड की स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी की ओर से कोरोना मैनेजमेंट के लिए सहायक उपाय के तौर पर मंजूरी दी गई है. उत्तराखंड सरकार ने इसके इस्तेमाल की हरी झंडी दे दी है. वहीं आयुष मंत्रालय की समिति ने कहा है दिव्य कोरोनिल, कोरोना ठीक करने में नहीं बल्कि सहायक उपाय है.

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संसद में आयुष मंत्रालय की राज्य मंत्री भारती पवार ने लिखित जानकारी देकर बताया कि आयुष मंत्रालय की Interdisciplinary Technical Review Committee (ITRC) के पास पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से दी गई उस अर्जी पर विचार किया जा रहा है जिसमें दिव्य कोरोनिल टैबलेट्स कोइम्यूनिटी बूस्टर की श्रेणी से अपडेट कर मेडिसिन की कैटेगिरी में लाए जाने की अपील की गई है. उन्होंने बताया कि कमेटी ने कोरोनिल को सहायक दवा के तौर पर इस्तेमाल की मंजूरी दी है. कमेटी ने साफ किया है कि इसे कोरोना के इलाज के तौर पर नहीं देखा जा सकता.    

जिस आधार पर ये मंजूरी दी गई है उसके नियमों की जानकारी देते हुए पवार ने बताया कि Drugs and Cosmetics Act, 1940 और रूल 1945 के तहत आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होमियोपैथी दवाओं को नियामक प्रावधान के तहत लाइसेंस और मंजूरी मिलती है.  

सेक्शन 3(a) और सेक्शन 3(h) में सभी आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी दवाओं की व्याख्या दी गई है जो बीमारी या विकार के इलाज, निदान, शमन या बीमारी के बचाव या इंसान या जानवरों के निदान के लिए पहली अधिसूची के मुताबिक आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी टिब की अधिकृत पुस्तकों में बताई गई विधि के तहत तैयार फॉर्मूला इस्तेमाल में लाया जा सकता है.आयुष मंत्रालय की समिति से हरी झंडी मिलने के बाद पतंजलि की ओर से उत्तराखंड सरकार के राज्य आयुर्वेदिक लाइसेंसिंग प्राधिकरण के पास आवेदन किया गया था. जिसके बाद उसे कोरोना के इलाज में सहायक उपाय के तौर पर इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है.

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