आत्मनिर्भर भारत (AatmaNirbhar Bharat) के तहत केंद्र सरकार तमाम छोटे-बड़े उद्योग, खेती-बाड़ी और नवाचारों को बढ़ावा दे रही है. किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए की योजनाओं पर जोर दिया जा रहा है. उद्योग-धंधों और किसानों की आमदनी से जुड़ी एक योजना है राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission). 

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सरकार देश में बांस की पैदावार बढ़ाने और बांस आधारित उद्योग-धंधों को गति देने पर फोकस कर रही है. इस कड़ी में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने नौ राज्यों में 22 बांस क्लस्टर (bamboo clusters) शुरू किए हैं. उन्होंने कहा कि देश अब बांस उत्पादों (bamboo products) के निर्यात को बढ़ाने के लिए कमर कस रहा है.

बांस के क्लस्टर की स्थापना मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, नागालैंड, त्रिपुरा, उत्तराखंड और कर्नाटक में की जाएगी. 

 

कृषि मंत्री ने राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) के लिए ‘लोगो’ यानी प्रतीक चिन्ह (Logo) भी जारी किया. राष्ट्रीय बांस मिशन का लोगो तैयार करने के लिए mygov प्‍लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. देशभर से मिली 2033 एंट्री में से तेलंगाना के साईं राम गौडी एडिगी (Sai Ram Goudi Edigi) ने जो डिजाइन तैयार किया था, उसे चुना गया और उन्हें नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

क्या कहता है लोगो

बांस मिशन के लोगो (NBM Logo) में बांस की छवि भारत के विभिन्न हिस्सों में बांस की खेती को चित्रित करती है. लोगो के चारों ओर औद्योगिक पहिया, बांस क्षेत्र के औद्योगीकरण के महत्व को दर्शाता है. लोगो में सुनहरे पीले व हरे रंग का संयोजन दर्शाता है कि बांस 'हरा सोना' (Green Gold) है. आधा औद्योगिक पहिया और आधा किसान सर्कल किसानों और उद्योग दोनों के लिए बांस के महत्व को दर्शाता है.

इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि बांस की लोकर वैरायटी से स्थानीय कारीगरों को मिशन द्वारा दिया जा रहा समर्थन भी 'वोकल फॉर लोकल' (local for vocal) के लक्ष्य को साकार करेगा. उन्होंने कहा कि इससे किसानों की आमदनी (Farmers Income) बढ़ाने और कुछ कच्चे माल के आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी. .

उन्होंने कहा कि भारत में बांस की संपत्ति और बढ़ते उद्योग के साथ, भारत को इंजीनियर और दस्तकारी उत्पादों, दोनों के लिए इंटरनेशनल मार्केट में खुद को स्थापित करने का लक्ष्य रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने 2017 में भारतीय वन अधिनियम 1927 का संशोधन करके बांस को जंगल के पेड़ों की श्रेणी से हटा दिया है.

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इसका फायदा यह होगा कि अब कोई भी बांस और उसके उत्पादों में खेती और कारोबार कर सकता है. इसके अलावा, देश में बांस उद्योग बढ़ावा देने के लिए आयात नीति में भी बदलाव किया गया है. उन्होंने कहा कि बांस की दस सबसे अच्छी वैरायटी की पहचान की गई है और अच्छी क्वालिटी वाली  रोपण सामग्री किसानों को मुहैया कराई जा रही है.