हर किसी के पास बैंक खाता (Bank Account) तो होता ही है. कई लोग तो ऐसे हैं, जिनके पास एक से ज्यादा भी बैंक खाते होते हैं. इन बैंक खातों को सेविंग्स अकाउंट (Savings Bank Account) कहा जाता है. इनमें पैसे सुरक्षित रहते हैं और साथ इन पर बैंक की तरफ से 2-3 फीसदी तक का ब्याज भी दिया जाता है. आपको सुनने में लग रहा होगा कि यह तो बहुत कम ब्याज है, एफडी पर तो 6-9 फीसदी तक ब्याज मिलता है. अब सवाल ये है कि पैसे एफडी (FD) में कैसे डाल दें, जब जरूरत होगी तो अचानक से निकालेंगे कैसे? अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप Sweep-in FD कर सकते हैं. इसके तहत आपको सेविंग्स अकाउंट में ही एफडी का मजा मिलेगा. आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ.

क्या है स्वीप-इन-एफडी?

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स्वीप-इन-एफडी एक ऑटो-स्वीप सर्विस होती है. इसके तहत आपके सेविंग्स अकाउंट में जो भी एक्स्ट्रा पैसे होते हैं, उन्हें एफडी में ट्रांसफर कर दिया जाता है. सेविंग अकाउंट से लिंक एफडी 1-5 साल तक की होती है. अब सवाल ये उठता है कि अकाउंट में एक्स्ट्रा पैसे कब माने जाएंगे और कब पैसे ट्रांसफर होंगे. इसके लिए आपको पहले एक थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करनी होगी.

जानिए क्या है स्वीप थ्रेसहोल्ड लिमिट

वैसे तो बैंक ही स्वीप थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करना है, लेकिन अकाउंट होल्डर को जरूरत के हिसाब से इसे कस्टमाइज करने का विकल्प भी देता है. यह वह सीमा होती है, जिससे अधिक पैसे होने पर वह खुद ही एफडी अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएंगे. इस तरह आपको सेविंग्स अकाउंट पर ही एफडी वाला ब्याज मिलने लगेगा.

मिनिमम एफडी अमाउंट

स्वीप-इन-एफडी में बैंक एक मिनिमम एफडी अमाउंट भी तय करता है. जब तक थ्रेसहोल्ड लिमिट से इतने पैसे अधिक नहीं होंगे, तब तक पैसे ट्रांसफर नहीं होंगे. यानी अगर आपकी थ्रेसहोल्ड लिमिट 25 हजार रुपये है और मिनिमम एफडी अमाउंट 5 हजार है तो बैंक खाते में 30 हजार रुपये होने पर ही उसमें से 5 हजार रुपये एफडी में ट्रांसफर होंगे.

मिनिमम मेच्योरिटी पीरियड

बैंक की तरफ से एक मेच्योरिटी पीरियड भी तय किया जाता है. यानी उससे पहले आप एफडी के पैसे नहीं निकाल सकते हैं. मान लीजिए आपके खाते से 5 हजार रुपये एफडी में गए और आपके लिए मिनिमम मेच्योरिटी पीरियड 15 दिन है, तो 15 दिन से पहले आप वह पैसे वापस नहीं निकाल सकते.

मेच्योरिटी पीरियड से पहले निकालने पर क्या?

अगर आप एफडी में गए पैसों को मेच्योरिटी पीरियड से पहले निकालते हैं तो आम एफडी अकाउंट की तरह आपको 1 फीसदी तक की पेनाल्टी चुकानी होगी. ऐसी स्थिति में Reverse Sweep काम करता है. इसके लिए आप दो तरह के विकल्प चुन सकते हैं. पहला है LIFO यानी लास्ट इन फर्स्ट आउट. मतलब जो एफडी बाद में बनी है, वह पहले टूटेगी. दूसरा है FIFO यानी फर्स्ट इन फर्स्ट आउट. मतलब जो एफडी पहले बनी है, वह पहले टूटेगी. हालांकि, यह सिर्फ तभी होगा जब आपको मेच्योरिटी पीरियड से पहले ही अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाती है.

किसे चुनना चाहिए FIFO, किसके लिए LIFO है अच्छा?

ऐसी स्थिति में अगर आप एफडी की मेच्योरिटी बहुत कम रखते हैं, मान लीजिए 15 दिन, तो आपको FIFO का विकल्प चुनना चाहिए. इससे आपको फायदा होगा कि आपकी एफडी जल्दी मेच्योर होगी तो पैसे वापस निकालने पर कोई पेनाल्टी नहीं लगेगी. हालांकि, बहुत कम एफडी तभी रखनी चाहिए जब आप जानते हैं कि आपको बार-बार अकाउंट से पैसे निकालने हैं. यह उन लोगों के लिए फायदे का सौदा है, जिन्हें 1 तारीख को मोटी सैलरी आती है, लेकिन 15-20 दिन बाद उन्हें अधिकतर या लगभग सारे पैसे किसी बिल के भुगतान में देने होते हैं. ऐसे में आप 15 दिन की एफडी कराकर अपने पैसों पर उस दौरान 6-7 फीसदी की दर से ब्याज पा सकेंगे, जबकि अगर वह आपके सेविंग्स अकाउंट में रहता तो आपको सिर्फ 2-3 फीसदी ब्याज ही मिलता.

वहीं दूसरी ओर अगर आपकी सैलरी से हर महीने काफी सारा पैसा बचता है तो आप लंबी अवधि की एफडी का विकल्प चुन सकते हैं. साथ ही Reverse Sweep के लिए ऐसी हालत में LIFO का विकल्प चुनना चाहिए. ऐसे में अगर आपको कभी पैसों की जरूरत पड़ी तो आपकी आखिरी वाली एफडी पहले टूटेगी. आखिरी एफडी को बने अभी कुछ ही दिन हुए होंगे तो उस पर आपको कम पेनाल्टी लगेगी और आपका कम नुकसान होगा.

लेकिन इसमें भी एक लोचा है...

स्वीप-इन-एफडी एक सुविधा से ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने वाले एक खेल जैसा है. इसके बारे में सुनकर ऐसा लगता है जैसे सेविंग्स अकाउंट में आपके पैसे पड़े रहेंगे और आपको एफडी वाला ब्याज मिलेगा, जबकि ऐसा नहीं है. अब मान लीजिए कि आप 15 दिन की एफडी कराते हैं तो उस पर आपको बहुत ही कम ब्याज मिलेगा. इस पर आपको करीब 3.5-4 फीसदी ब्याज मिलेगा, जबकि सेविंग्स अकाउंट पर ही आपको 3 फीसदी तक का ब्याज मिल जाएगा. यानी आपको फायदा बहुत ही कम होगा. 

अगर आप कम से कम 2 महीने की एफडी कराते हैं तो आपको 6 फीसदी तक का ब्याज मिलेगा. तो अगर आप कम से कम 2-3 महीने की एफडी करा सकते हैं, तभी स्वीप-इन-एफडी को चुनें, वरना आपको नुकसान ही होगा. मान लीजिए आपने 30 दिन की एफडी कराई, जिस पर आपको 4.5 फीसदी ब्याज मिला, जबकि जरूरत पड़ने पर उसे तोड़ा तो 1 फीसदी तो पेनाल्टी ही चुकानी होगी. इस तरह आपको सिर्फ 3.5 फीसदी ही ब्याज मिलेगा. ऐसे में देखा जाए तो इस सुविधा में फायदा बहुत ही कम है. लेकिन जो लोग कुछ दिनों तक अपने खाते में पैसा रख सकते हैं, उनके लिए यह फायदे का सौदा साबित हो सकती है.