SBI savings account interest rate: देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि खुदरा जमाकर्ताओं (Retail Depositors) को बैंकों में जमा अपने पैसे पर मिलने वाले ब्याज में नुकसान हो रहा है. इसलिए उन्हें मिलने वाले ब्याज पर टैक्स की समीक्षा करने की जरूरत है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सौम्य कांति घोष की लीडरशिप में अर्थशास्त्रियों के लिखे एक नोट में यह बात कही गई है. 

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पूरी बैंकिंग व्यवस्था में कुल 102 लाख करोड़ रुपये हैं जमा

खबर के मुताबिक, नोट में कहा गया कि अगर सभी जमाकर्ताओं के लिए संभव न हो तो कम से कम वरिष्ठ नागरिकों द्वारा जमा की जाने वाली राशि के लिए टैक्सेशन की समीक्षा की जानी चाहिए. क्योंकि वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इसी ब्याज पर निर्भर रहते हैं. उन्होंने कहा कि पूरी बैंकिंग व्यवस्था में कुल मिलाकर 102 लाख करोड़ रुपये जमा हैं.

जमाकर्ता प्रभावित हो रहे

खबर के मुताबिक, फिलहाल बैंक सभी जमाकर्ताओं के लिए 40,000 रुपये से ज्यादा की ब्याज इनकम देते समय स्रोत पर टैक्स काटते हैं, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए इनकम 50,000 रुपये प्रति वर्ष से ज्यादा होने पर कर निर्धारित किया जाता है. चूंकि नीति का ध्यान बढ़ोतरी की तरफ चला गया है, प्रणाली में ब्याज दरें नीचे जा रही हैं जिससे जमाकर्ता प्रभावित हो रहे हैं.

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बैंकों पर मुनाफे को लेकर काफी दबाव

भारतीय स्टेट बैंक (state bank of india) के अर्थशास्त्री के नोट में कहा गया कि स्पष्ट रूप से बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज की वास्तविक दर एक बड़ी अवधि के लिए निगेटिव रही है और रिजर्व बैंक ने यह पूरी तरह साफ कर दिया है कि प्राथमिक लक्ष्य बढ़ोतरी में मदद करना है, भरपूर तरलता बने रहने के चलते कम बैंकिंग ब्याज दर के निकट भविष्य में बढ़ने की संभावना नहीं है. इसमें यह भी कहा गया कि सिस्टम में काफी तरलता होने के चलते इस समय बैंकों पर मुनाफे को लेकर काफी दबाव है.