देश के सबसे बड़े बैंक के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने ब्याज दर में कटौती को लेकर कहा कि बैंकों ने दरों में कटौती तो की लेकिन इसका फायदा नहीं मिला. एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने आज कहा कि ब्याज दरों में कटौती से इन्वेस्टमेंट नहीं बढ़ा, जबकि बैंक लगातार कस्टमर्स को कम ब्याज का फायदा लगातार दे रहे हैं. IANS की खबर के मुताबिक, ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के 47वें नेशनल मैनेजमेंट कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस साल क्रेडिट ग्रोथ की दर धीमी रही है, क्योंकि पूंजीगत व्यय (Capital expenditures) सामान्य गति से नहीं हो रहा है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चेयरमैन रजनीश कुमार ने बताया कि बीते 2008 के आर्थिक संकट के समय बैंकों ने नियमों को आसान बनाकर लोन देने में बढ़ोतरी की थी और देश को उसके के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी, इसलिए बैंक इस बार समझदारी से काम ले रहा है.

एसबीआई चेयरमैन के मुताबिक, आर्थिक विकास तो फिर से पटरी पर लाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च एक अच्छा सॉल्यूशन है. उन्होंने कहा कि भारत के पास 10 लाख करोड़ रुपये मूल्य के पांच साल के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है और यह एक अचूक उपाय है जिससे इकोनॉमी को दोबारा सपोर्ट मिल सकता है, क्योंकि कंस्ट्रक्शन से रोजगार पैदा होने के साथ-साथ डिमांड भी पैदा होगा.

एसबीआई चेयरमैन के अलावा वहां मौजूद नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया ने एक दूसरे सेशन मे कहा कि भारत की आर्थिक विकास दर में 2018 से ही गिरावट आई है, क्योंकि मोदी सरकार के पहले चार साल के कार्यकाल के दौरान विकास दर ऊंची थी और दोबारा यह सात प्रतिशत से ऊपर जाने वाली थी. उन्होंने कहा कि भारत के लिए मुक्त व्यापार और बैंकों को दोबारा पूंजीकरण की बेहद जरूरत है.

ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:

खबर के मुताबिक, पनगढ़िया ने कहा कि भारत में छह से सात प्रतिशत तक की महंगाई दर को सहन करने की शक्ति है और भारतीय रिजर्व बैंक को इसे कम रखने को लेकर बहुत ज्यादा पहल करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि अप्रैल से जून के दौरान महंगाई की ऊंची दर की वजह सप्लाई में कमी थी और जैसे ही सप्लाई में सुधार होगा, इसमें कमी आएगी.