चेक के इस्तेमाल को और आसान बनाने के लिए रिजर्व बैंक लगातार काम कर रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (reserve bank) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary review policy) बैठक में चेक ट्रांजेक्शन को लेकर भी कई फैसले लिए गए. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आरबीआई (RBI) ने चेक क्‍लीयरेंस को सुगम बनाने और इनके गलत इस्तेमाल के खतरे को कम करे के लिए ने देशभर में चेक ट्रंकेशन सिस्‍टम (CTS) को लागू करने का फैसला किया है. अभी यह व्यवस्था केवल बड़े क्‍लीयर‍िंग हाउस में लागू है. इसके अलावा 50,000 रुपये से अधिक के चेक के बारे में शीर्ष बैंक ने व्यवस्था की है कि 50,000 या इससे ज्यादा की रकम का चेक जारी करते समय अकाउंट होल्डर को चेक के बारे में बैंक को जानकारी देनी होगी. अकाउंट होल्डर की सूचना के बिना चेक को क्लीयर नहीं किया जाएगा. 

चेक ट्रंकेशन सिस्‍टम (Cheque Truncation System-CTS) के बारे में आरबीआई ने बताया कि यह सिस्टम पूरे देश में लागू है. लेकिन अभी इसका चलन महज 2 फीसदी है. इस सिस्टम के तहत अभी 82,000 रुपये की कीमत वाले चेक क्लीयर किए जाते हैं. 

चेक ट्रंकेशन सिस्‍टम चेक धोखाधड़ी को रोकने में अहम भूमिका निभाता है. इस सिस्टम ने चेक भुगतान में ग्राहक सुरक्षा को और बढ़ाने और चेक में छेड़छाड़ की होने वाली घटनाओं को कम करने का काम किया है.

अब इस सिस्टम को और विस्तार देते हुए इसमें 50,000 रुपये तक रकम वाले चेक भी शामिल किए गए हैं. 

ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:

चेक ट्रंकेशन सिस्‍टम

चेक ट्रंकेशन सिस्‍टम चेक को क्‍लीयर करने का एक सिस्टम है. इसमें चेक को एक जगह से दूसरी जगह घूमना नहीं पड़ता है. 

अभी तक के सिस्टम में चेक जिस बैंक में लगाया जाता है, वह यहां से अदाकर्ता बैंक की शाखा में भेजा जाता है. इस सिस्टम में चेक क्‍लीयर होने में समय लगता है.

चेक ट्रंकेशन सिस्‍टम में चेक के स्थान पर क्लीयरिंग हाउस की ओर से इसकी इलेक्ट्रॉनिक फोटो अदाकर्ता शाखा को भेज दी जाती है. इसके साथ चेक से जुड़ी तमाम जानकारी जैसे प्रस्तुति की तारीख, प्रस्तुत करने वाले बैंक का ब्‍यौरा भी भेज दिया जाता है.