रिजर्व बैंक ने बैंकों और उसके अधीन आने वाले वित्तीय संस्थानों के लिए अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड (AIF) में निवेश की शर्तें कड़ी कर दी हैं. RBI ने कहा है कि कोई वित्तीय संस्थान ऐसे किसी AIF में निवेश नहीं करेगा, जो बैंक के किसी देनदार से जुड़ा हो. रिजर्व बैंक के सर्कुलर के मुताबिक अगर किसी AIF में बैंक या कर्ज बांटने वाली संस्था का निवेश है. और वो AIF बैंक या कर्ज बांटने वाली संस्था के किसी देनदार की कंपनी में निवेश करेगा तो उसे अपना निवेश बेचना होगा. 

कौन है देनदार ?

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अगर किसी बैंक का किसी ऐसे AIF में निवेश है जो बैंक का देनदार है तो आज की तारीफ से 30 दिन के भीतर बैंक को अपना निवेश AIF से बेचना होगा. अगर बैंक या वित्तीय संस्थान AIF में किया गया अपना निवेश नहीं बेच पाते हैं. तो उन्हें निवेश की गई रकम के लिए 100% के बराबर प्रॉविजनिंग करनी होगी. प्रॉविजनिंग का मतलब रकम अलग से निकालकर रखना. 

सर्कुलर के मुताबिक रिजर्व बैंक के नियम तत्काल प्रभाव से लागू होंगे. रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि देनदार उसे माना जाएगा जिसे बैंक ने बीते 12 महीने में कोई भी कर्ज दिया हो.   

 

AIF के गलत इस्तेमाल की मिली थी जानकारी

दरअसल रिजर्व बैंक को सेबी से ऐसी शिकायतें मिली थीं कि AIF रूट का दुरुपयोग किया जा रहा था. बैंक जिन लोगों को सीधे कर्ज नहीं दे पा रहे थे वो ऐसे लोगों के AIF की यूनिट खरीदकर उन्हें पैसा दे रहे थे. इस तरह से लोन की वास्तविक अदायगी न होकर पैसा को घुमाए जाने की आशंका थी. देनदार की परिभाषा के लिए भी बैंकों को पैमाना सुझाया गया है.  

RBI के नए नियम से कैपिटल क्षेत्र में हाहाकार

हालांकि, रिजर्व बैंक के नए सर्कुलर से वेंचर कैपिटल क्षेत्र में हाहाकार मच गया है. क्योंकि पूरे सेक्टर की फंडिंग पर तगड़ी मार पड़ने की आशंका है. कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों का स्टार्टअप्स और दूसरे ऐसे वेंचर्स में निवेश है. लेकिन रिजर्व बैंक के सर्कुलर के बाद अब बैंकों के लिए ऐसे संस्थानों में न केवल निवेश करना कठिन हो जाएगा. बल्कि मौजूदा किए गए निवेश भी प्रभावित होंगे. 30 दिन में एक्जिट की शर्त से डिस्ट्रेस सेल की नौबत आने का भी आशंका जताई जा रही है. वेंचर कैपिटल से जुड़े एक फाउंडर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “रिजर्व बैंक का सर्कुलर एक तरह से AIFs के सिस्टम पर ही हमला है. कुछ एक गड़बड़ियों से निपटने के बजाय AIF के पूरे इकोसिस्टम को भारी नुकसान पहुंचाने वाला सर्कुलर लाया गया है. 

माना जा रहा है कि जल्दी ही वेंचर कैपिटल और AIF से जुड़े लोग वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक और सेबी को इस सर्कुलर से पैदा होने वाली मुश्किलों के बारे में बताएंगे. इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक वैसे ही AIF में निवेश पर 150 फीसदी का रिस्क वेटेज लागू है. ऐसे में अगर बैंकों को 30 दिन में एक्जिट न कर पाने पर 100 फीसदी प्रॉविजन का नियम आएगा तो बैंक और वित्तीय संस्थान भला क्यों AIF में निवेश करेंगे.