भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह शुक्रवार, 7 जून को फंसे कर्ज यानी एनपीए की पहचान के लिए नए नियम जारी किए थे. नए सर्कुलर के तहत बैंकों को कर्ज अदायगी में पहली चूक के 30 दिन के अंदर उस खाते को संकट ग्रस्त खाते के रूप में उल्लेख किया जाना जरूरी होगा. इससे पहले 1 दिन की चूक को एनपीए के तहत कार्रवाई करना जरूरी था. आरबीआई के 12 फरवरी, 2018 के सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 2 अप्रैल को गैर-संवैधानिक बताकर रद्द कर दिया था.

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आरबीआई के नए सर्कुलर के मुताबिक, 30 दिन की समीक्षा अवधि के दौरान कर्जदाता रेजोल्यूशन प्लान की रणनीति तय कर सकेंगे. प्लान लागू किया जाता है तो सभी कर्जदाताओं को इंटर-क्रेडिटर एग्रीमेंट (आईसीए) करना होगा. कर्जदाता कानूनी कार्रवाई भी कर सकेंगे. 

नए सर्कुलर के मुताबिक, रेजोल्यूशन प्लान के लिए अब कुल लोन की 75 फीसदी वैल्यू वाले कर्जदाताओं की मंजूरी जरूरी होगी. पहले सभी कर्जदाताओं की मंजूरी लेनी होती थी. समीक्षा अवधि से 180 दिन में रेजोल्यूशन प्लान लागू नहीं होता है तो आरबीआई बैंकों से 20 फीसदी अतिरिक्त प्रोविजनिंग के लिए कहेगा. 365 दिन में रेजोल्यूशन प्लान लागू नहीं होने पर 35 फिसदी अतिरिक्त प्रोविजनिंग करना होगा.

 

आरबीआई के नए सर्कुलर पर पंजबा नेशनल बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने इसे बैलेंस सर्कुलर बताया है. ज़ी बिनजेस से खात बातचीत में मेहता ने कहा कि पुराने सर्कुलर के मुकाबले नए सर्कुलर में बहुत ही सुधार हैं और इसमें बैंकों के हित को भी ध्यान में रखा गया है. पुराने सर्कुलर में जो खामियां थीं वे इसमें दूर कर ली गई हैं. अब जो भी अन्य समस्याएं आएंगी उनको आपस में मिल-बैठ कर दूर कर लिया जाएगा.

नए सर्कुलर के तहत

अब पेमेंट में एक दिन की देरी को डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा.

डिफॉल्ट के 30 दिन में लेंडर्स को खाते की समीक्षा करनी होगी.

देरी होने पर बैंकों को अतिरिक्त प्रोविजनिंग करनी होगी.

समीक्षा अवधि खत्म होने के 180 दिन बादल रिजोल्यूशन प्लान लागू होगा.

लेंडर्स को 2000 करोड़ से ऊपर के एनपीए को 180 दिनों में सुलझाना जरूरी.