पिछले दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अन सिक्योर्ड लोन के लिए रिस्क वेटेज को 25% बढ़ा दिया था. केंद्रीय बैंक का मानना है कि रीटेल कंज्यूमर लोन को लेकर क्वॉलिटी मेंटेन करना जरूरी है. इसका असर बैंक और NBFC पर होगा. RBI के इस फैसले के बाद रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) क्षेत्र की वृद्धि 16-18 फीसदी के अनुमान से कम रह सकती है.

अगले फिस्कल लोन ग्रोथ 14-17% रह सकता है

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रेटिंग एजेंसी ने कहा कि देश की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की प्रबंधन-अधीन संपत्तियां (एयूएम) तमाम खुदरा ऋण क्षेत्रों में लगातार मजबूत मांग रहने से अगले वित्त वर्ष में 14-17 फीसदी की स्वस्थ वृद्धि दर्ज कर सकती हैं. हालांकि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 16-18 फीसदी के अनुमान से मामूली रूप से कम रह सकती है, क्योंकि एनबीएफसी एयूएम में अबतक सबसे तेजी से बढ़ने वाले असुरक्षित खुदरा ऋण खंड में अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि होने की आशंका है.

रीटेल लोन लेंडिंग में बनी रहेगी मांग

इसकी वजह यह है कि एनबीएफसी रिजर्व बैंक की तरफ से हाल में जारी निर्देशों के अनुरूप अपनी रणनीतियों को नए सिरे से ढालने में जुटी हैं. क्रिसिल ने कहा कि आगे चलकर उत्पाद पेशकश और वित्त पोषण ‘प्रोफाइल’ में विविधता एनबीएफसी की वृद्धि रणनीति में अहम भूमिका निभाएंगे. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, एनबीएफसी की खुदरा ऋण वृद्धि ठोस अंतर्निहित व्यापक एवं सूक्ष्म आर्थिक कारकों से संचालित होती रहेगी.

हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर नहीं होगा असर

क्रिसिल रेटिंग्स के प्रबंध निदेशक गुरप्रीत चटवाल ने एक वेबिनार में कहा कि हालिया नियामकीय उपाय असुरक्षित खुदरा ऋणों पर लक्षित हैं लेकिन इनका असर सुरक्षित परिसंपत्ति समूहों पर नहीं है. इसके अलावा विनियामक निर्देशों का प्रभाव आवासीय वित्तीय कंपनियों (एचएफसी) पर नहीं पड़ने वाला है.