RBI monetary policy october 2021: इंटरनेशनल लेवल पर जिंसों की बढ़ती कीमतों और मुद्रास्फीति (महंगाई) को घरेलू स्तर पर कंट्रोल करने की जरूरत के बीच भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिनों की हर दो महीने में होने वाली मीटींग बुधवार को शुरू हुई. पीटीआई की खबर के मुताबिक, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) शुक्रवार को छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (rbi monetary policy committee) के फैसले की घोषणा करेंगे.

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लगातार स्थिर रखता आया है ब्याज

खबर के मुताबिक, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि केंद्रीय बैंक लगातार आठवीं बार नीतिगत दरों (repo rate) पर यथास्थिति बनाए रखेगा. इस समय रेपो दर चार प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत है. पिछली मीटिंग के बाद हुए अनाउंसमेंट में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई का आकलन संशोधित कर 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया था. साथ ही जुलाई-सितंबर 2021 के लिए देश की जीडीपी की दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था.

समिति मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भी चिंतित

पीडब्ल्यूसी इंडिया में लीडर (सार्वजनिक वित्त और अर्थव्यवस्था) रानेन बनर्जी ने कहा कि 2022 की पहली छमाही तक मुद्रास्फीति कम न होने पर संभावित एक्शन से जुड़े अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन के बयान से एमपीसी के रुख पर असर पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि समिति मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भी चिंतित होगी. चूंकि तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले की कीमतों में कोई कमी नहीं दिख रही है और इसके बजाय यह ऊपर की ओर ही जा रहा है.

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सप्लाई की स्थिति में सुधार हुआ

ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंदा राव ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई के 5.59 प्रतिशत से घटकर अगस्त में 5.3 प्रतिशत हो गई. महामारी के चलते प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के साथ सप्लाई की स्थिति में सुधार हुआ है और क्षमता के इस्तेमाल में इस समय सुधार हो रहा है. ऐसे में एमपीसी पर ब्याज दरों में बदलाव या समायोजन के रुख को बदलने का कोई तत्काल दबाव नहीं है.