RBI Master Direction on loan transfer: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को लोन ट्रांसफर पर एक मास्टर डायरेक्शन को जारी किया है. यह मास्टर डायरेक्शन बैंकों और अन्य लोन देने वाली संस्थाओं के लिए एक व्यापक बोर्ड अप्रूव्ड पॉलिसी के लिए जरूरी था.

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RBI ने कहा कि लोन देने वाले संस्थाओं के लिए विभिन्न कारणों से लोन ट्रांसफर का सहारा लिया जाता है, जिसमें लिक्विडिटी मैनेजमेंट, उनके जोखिम या रणनीतिक बिक्री को फिर से संतुलित करना शामिल है. साथ ही इस मास्टर डायरेक्शन से लोन में एक मजबूत सेकेंडरी बाजार की लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त रास्ता बनाने में मदद मिलेगी.

सभी बैंकों और एनबीएफसी पर लागू होंगे नियम

RBI ने बताया कि यह मास्टर डायरेक्शन सभी बैंकों, गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) पर लागू होते हैं, जिनमें हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (HFC), NABARD, NHB, एक्जिम बैंक और सिडबी शामिल हैं 

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मिनिमम होल्डिंग पीरिएड भी निर्धारित

Master Direction ने विभिन्न कैटेगरी के लोन के लिए मिनिमम होल्डिंग पीरिएड भी तय की है, जिसके बाद यह लोन ट्रांसफर के योग्य हो जाएंगे. इसने कहा है कि कर्जदाताओं को इन गाइडलाइंस के तहत लोन एक्सपोजर के ट्रांसफर और अधिग्रहण के लिए एक व्यापक बोर्ड से अप्रूव्ड नीति बनानी चाहिए.

क्या बातें तय हुई

Master Direction में कहा गया है कि इन गाइडलाइंस में उचित परिश्रम, मूल्यांकन, डेटा को पकड़ने, स्टोरेज और मैनेजमेंट के अपेक्षित आईटी सिस्टम, रिस्क मैनेजमेंट आदि से संबंधित मिनिमम न्यूनतम मात्रात्मक और गुणात्मक मानकों को तय करना चाहिए.

पिछले साल जून में जारी हुआ था ड्राफ्ट

भारतीय रिजर्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण) निदेश, 2021 (Reserve Bank of India (Transfer of Loan Exposures) Directions, 2021) पर ड्राफ्ट गाइडलाइंस पिछले साल जून में सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किए गए थे.

शुक्रवार को जारी अंतिम गाइडलाइंस में अन्य बातों के साथ-साथ इन टिप्पणियों को भी ध्यान में रखा गया है. RBI ने कहा है कि यह डायरेक्शन तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है.