भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को मनी लॉन्ड्रिंग (Money laundering) और आंतकवादियों के लिए फंडिग के जोखिमों का रेगुलर तौर पर एनालिसिस करने के इंतजाम करने को कहा है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कहा कि उसने केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) को लेकर गाइडलाइन में एक नया सेक्शन जोड़ा है. खबरों के मुताबिक, नया निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है.

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आरबीआई ने कहा है कि इसके तहत उसके नियंत्रण में आने वाली इकाइयां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को फंडिंग से जुड़े जोखिम की समीक्षा को तय समय पर करने की व्यवस्था करेंगी. साथ ही वे ग्राहकों, देशों, उत्पादों, सेवाओं और लेनदेन या डिस्ट्रीब्यूशन चैनल के लिए इससे जुड़े जोखिम को को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाएंगी.

इसमें कहा गया है कि नियंत्रित इकाइयां मनी लॉन्ड्रिंग और फंडिंग से जुड़े जोखिम का आकलन करते समय क्षेत्र विशेष पर पड़ने वाला अगर कोई प्रभाव है तो उस पर खास तौर पर गौर करेंगी. इस बारे में रेगुलेटर/निरीक्षक समय-समय पर उनसे जानकारी साझा कर सकते हैं. आरबीआई के अनुसार उसके द्वारा नियंत्रित इकाइयों को इंटरनल रिस्क का आकलन अपना आकार, भौगोलिक मौजूदगी, गतिविधियों की जटिलता/ढांचा को ध्यान में रखकर उसके मुताबिक करना चाहिए.

आरबीआई (RBI) द्वारा नियंत्रित इकाइयों में बैंक, वित्तीय संस्थान, एनबीएफसी और पेमेंट सिस्टम कंपनियां शामिल हैं. आरबीआई ने कहा कि नया केवाईसी तत्काल प्रभाव से अमल में आ गया है. बता दें, आरबीआई समय-समय पर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े नियमों के उल्लंघन होने पर बैंक या उस वित्तीय संस्थानों पर पेनाल्टी भी लगाता है. 

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भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों से जुड़ी धोखाधड़ी के 71,500 करोड़ रुपये के 6,800 से अधिक मामले रिपोर्ट किए गए. इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में 41,167.03 करोड़ रुपये के ऐसे 5,916 मामले सामने आए थे.