RBI Deputy Governor on cryptocurrencies: बजट में भले ही क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की गई हो, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि सरकार फिलहाल इसे Legalize कर देगी. वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने कहा है कि यह पोंजी स्कीम जैसी है. उन्होंने इसे सिस्टम और बैंकिंग के लिए खतरा बताया. टी रविशंकर सोमवार (14 फरवरी, 2022) को क्रिप्टोकरेंसी पर आईबीए (Indian Banks' Association) के 17वें वार्षिक बैंकिंग टेक्नोलॉजी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

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'क्रिप्टो नहीं है करेंसी, असेट या कमोडिटी'

उन्होंने कहा कि Cryptocurrency का मकसद ही सरकारी सिस्टम को दरकिनार करना है. यह किसी भी तरह से करेंसी, असेट या कमोडिटी नहीं है. वहीं यह करेंसी सिस्टम, मॉनिटरी अथॉरिटी, बैंकिंग के लिए खतरा है. इससे सरकार की इकोनॉमी कंट्रोल करने के सिस्टम में भी दिक्कत होगी. उन्होंने आगाह किया कि यह सरकारों को ब्लैकमेल करने का जरिया बन सकता है. इतना ही नहीं टी रविशंकर ने देश में इसपर पाबंदी लगाने की भी मांग की.

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'बैंकिंग सिस्टम को दरकिनार करना मकसद'

अपनी चिंताओं को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि यह डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम्स है. जहां भागीदार ही आपसी सहमति से ट्रांजैक्शन करते हैं. इसे बैंकिंग सिस्टम को दरकिनार करने के लिए बनाया गया है. इसपर नियंत्रण रखना भी संभव नहीं है. सरकार न तो इनका पता लगा सकती है और न उन्हें जब्त या फ्रीज कर सकती है.

'ट्रांजैक्शन का उद्देश्य साफ नहीं'

क्रिप्टो में भले ही लेन-देन वेरिफाइड हो लेकिन ये गुमनाम हैं वहीं इसके ट्रांजैक्शन के उद्देश्य का भी पता नहीं चल पाता. RBI के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि Cryptocurrency बॉर्डरलेस यानी सीमाहीन हैं. बिना किसी भौतिक अस्तित्व (Physical existence) के ये इंटरनेट पर काम करते हैं.