रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने यूनाइटेड को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (United Co-Operative Bank Ltd) का लाइसेंस रद्द (License Cancel) कर दिया है. पश्चिम बंगाल के बगनान में मौजूद इस बैंक की खराब वित्तीय हालत को देखते हुए RBI ने यह कदम उठाया है. लाइसेंस रद्द होने के बाद 13 मई 2021 से ही यूनाइटेड कोऑपरेटिव बैंक में सभी तरह की बैंकिंग गतिविधियों पर रोक लग गई है. RBI ने बताया कि पश्चिम बंगाल के को-ऑपरेटिव सोसायटीज के रजिस्‍ट्रार ने भी बैंक को बंद करने और लिक्विडेटर की नियुक्ति करने की अपील की थी. रिजर्व बैंक के इस कदम से अब को-ऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं की चिंता बढ़ने लगी है कि बैंक में जमा उनके पैसों का क्या होगा, पैसे उन्हें वापस मिलेंगे या नहीं.

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ग्राहकों के पैसे का क्या होगा?

RBI का कहना है कि बैंक के पास पर्याप्त लिक्विडिटी नहीं है और ना ही भविष्‍य में उसकी कमाई की कोई उम्‍मीद है. जहां तक बैंक के ग्राहकों का सवाल है तो बैंक के सभी जमाकर्ताओं को डिपॉजिट इंश्‍योरेंस (Deposit Insurance) और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के जरिये रकम लौटाई जाएगी. बैंक की ओर से ग्राहकों के बारे में जो आंकड़े उपलब्‍ध कराए गए हैं, उसी के मुताबिक सभी जमाकर्ताओं को पूरी रकम लौटाई जाएगी. हालांकि केंद्रीय नियमों के मुताबिक, 5 लाख रुपये तक की अधिकतम सीमा का पालन भी किया जाएगा. 

RBI ने क्‍यों लगाई थी पाबंदी?

यूनाइटेड कोऑपरेटिव बैंक के खिलाफ रिजर्व बैंक ने 18 जुलाई 2018 को भी कार्रवाई की थी. तब RBI ने बिना लिखित अनुमति के बैंक को निवेश, लोन देने, स्कीम के रिन्‍युअल समेत कई सेवाओं पर पाबंदी लगा दी थी. रिजर्व बैंक ने कहा कि ये बैंक बैंकिंग रेग्‍युलेशन एक्‍ट, 1949 (Banking Regulation Act, 1949) के कुछ प्रावधानों को पूरा नहीं कर रहा था. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंक की जैसी वित्तीय स्थिति है, वो अपने जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ होगा. बैंक अगर अपना कामकाज चालू रखता है तो ये ग्राहकों के हितों के खिलाफ होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए बैंक का लाइसेंस रद्द करने का का फैसला किया गया है. बैंक की सभी गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है.

बैंक में 5 लाख तक रकम इंश्‍योर्ड 

रिजर्व बैंक के रेग्‍युलेशन के दायरे में आने वाले बैंकों में जमा रकम इंश्‍योर्ड होती है. यह सभी तरह के जमा पर होता है. DICGC के जरिए बैंक में जमा रकम को कवर किया जाता है, जिसके तहत बैंक के डूब जाने या फेल हो जाने पर 5 लाख रुपये तक रकम जमाकर्ता को बतौर इंश्‍योरेंस क्‍लेम मिल जाती है. हालांकि, अगर एक से अधिक खाते हैं तो भी सभी अधिकतम इंश्‍योर्ड रकम 5 लाख रुपये ही मानी जाती है. DICGC के तहत सभी तरह के बैंक जमा को कवर होता है. इनमें बचत, फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट, करेंट अकाउंट और रेकरिंग डिपॉजिट शामिल हैं. 

 

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