कैसे एक बैंक की जालसाजी उसके खाताधरकों पर भारी पड़ती है? कैसे एक परिवार का चिराग अपने हक की लड़ाई में जिंदगी से जंग हार जाता है? और कैसे खाते में पड़ी पूरी जिंदगी भर की जमा पूंजी जरूरत पर काम नहीं आ रही... एक तरफ मुंबई के ओशिवरा के रहने वाले संजय गुलाटी हैं, जिनके घर में आज खुशियों की जगह मातम है.

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51 साल के संजय का PMC बैंक (पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक) में चार खाते है. इसमें करीब 90 लाख जमा है. जब से PMC बैंक घोटाला सामने आया तब से वो परेशान चल रहे थे. परिवार में पत्नी के अलावा दो बच्चे हैं. इनमें एक स्पेशल चाइल्ड है. बच्चे के इलाज पर मोटी रकम खर्च होती थी. लेकिन, घोटाले के बाद इलाज तो क्या परिवार के छोटे-मोटे काम भी ठीक से नहीं हो पा रहे थे. संजय इसी बात से परेशान थे और इसी चिंता ने उनकी जान ले ली.

संजय गुलाटी के पड़ोसी प्रशांत टोनार का कहना है कि संजय गुलाटी की सेहत अच्छी थी. उनकी फैमिली कि हेल्थ हिस्ट्री भी ऐसी नहीं, ऐसे में उनकी अचानक हुई मौत एक सदमा ही है. वह काफी तनाव में थे. संजय गुलाटी के एक रिश्तेदार राजेश दुआ का कहना है कि सरकार को प्रयास करना चाहिए कि मेडिकल और एजुकेशन के लिए डिपोजिटर पैसा निकाल सकें. उनका एक बेटा स्पेशल चाइल्ड है, ऐसे में मेडिकल के लिए पैसो कि जरूरत रहती है.

संजय जेट एयरवेज में काम करते थे. इस नौकरी में एक लंबी पारी खेली और फिर एक दिन उन्हें पता चला की जेट एयरवेज बंद हो गई. उनके साथ हजारों लोग अचानक सड़क पर आ गए. यहां से संजय की जिंदगी में मुश्किलों का दौर शुरु हुआ. परिवार में सिर्फ संजय ही थे जो कमाते थे. नौकरी गई तो पूरी जिंदगी की जमा पूंजी PMC बैंक में इस उम्मीद के साथ जमा करवा दी दूसरी नौकरी मिलने तक इसी से गुजारा चलेगा. फिर चाहे वो बच्चे का इलाज हो या फिर परिवार की दूसरी जरूरतें. बैंक में पड़ी रकम ही सहारा होगी. कुछ दिनों तक तो सब ठीक चला. लेकिन, उनकी बदकिस्मती ने एक बार फिर उनके दरवाजे पर दस्तक दी.

संजय गुलाटी के रिश्तेदार राजेश दुआ के मुताबिक, वो नौकरी जाने से उतने ज्यादा परेशान नहीं थे, जितना की PMC बैंक घोटाले से थे. खाते में करीब 80 लाख रुपए जमा है और 20-20 हजार के लिए उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही थी. बच्चे का इलाज भी इसी रकम होता था जो कि अब ठीक से नहीं हो पा रहा है.

छीन ली एक और जान

दूसरी तरफ मुलुंड के रहने वाले 59 वर्षीय फत्तोमल पंजाबी की भी दिल का दौरा पड़ने से जान चली गई. फत्तोमल पंजाबी मुलुंड में हार्डवेयर और इलेक्ट्रिकल स्टोर चलाते थे और उन्होंने भी पीएमसी बैंक में पैसे जमा कराए हुए थे. उनकी मौत मंगलवार दोपहर 12.30 बजे के करीब हुई है. 

नवी मुंबई के कोपरखैरणा में रहने वाले इंदरप्रीत सिंह भाटिया हैं. इनका खाता भी PMC बैंक में है. इंदरजीत बीपी के मरीज हैं. इसी साल उनका किडनी का ऑपरेशन भी हुआ है. ट्रांसप्लांट के बाद इंदरजीत को हर महीने 4 टेस्ट करवाने पड़ते हैं. जिस पर 48 हजार रुपए का खर्च आता है और अगर इसी में दवाओं का खर्च भी जोड़ लें तो ये खर्च करीब 1 लाख रुपए तक पहुंच जाता है. इंदरजीत का 1993 से PMC बैंक में खाता है. परिवार के दूसरे सदस्यों के खाते भी इसी बैंक में है. बिजनेस का करेंट अकाउंट भी बैंक में ही है. लेकिन, बैंक घोटाले ने उनका बिजनेस भी ठप कर दिया है.

इंदरप्रीत सिंह भाटिया के मुताबिक, PMC घोटाला में अभी दोषियों को सजा मिलना बाकी है, लेकिन उसके खाताधारक हर पल जिंदगी की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं, यहां जी बिज़नेस सवाल उठा रहा है कि संजय की मौत का जिम्मेदार कौन? संजय के परिवार का क्या होगा? खाताधारकों की परेशानी का गुनहगार कौन? खाताधरकों को इंसाफ कब मिलेगा?

क्योंकि, बैंक के घोटालेबाजों की लालच की भेंट बैंक के खाताधरक चढ़ रहे हैं. इनमें कुछ जिंदगी की जंग हार चुक हैं. और कुछ रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं...