कार्ड स्वाइप पर एक्सट्रा 2% देने से मिल सकती है मुक्ति, अगर सरकार ने मान लिया सुझाव
शॉपिंग के दौरान कई बार दुकानदार कीमत का 1 से 2% शुल्क चार्ज करते हैं. न देने पर वे कार्ड स्वाइप करने के बजाय कैश मांगते हैं. इसको लेकर IIT बॉम्बे ने एक स्टडी की है, जिसमें सरकार को सुझाव दिया गया है. सुझाव के मुताबिक Digital लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को सभी तरह के डेबिट (Debit) और प्रीपेड (Prepaid) कार्ड पर व्यापारी छूट दर (MDR) को लेन-देन मूल्य के मुकाबले 0.6 प्रतिशत तक सीमित करने की जरूरत है.
Updated on: September 23, 2020, 03.36 PM IST
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रूपे कार्ड पर नहीं है MDR
बता दें कि फिलहाल रूपे (Rupay) डेबिट कार्ड और यूपीआई (UPI) से भुगतान पर MDR अभी नहीं लगता है. साथ ही 2000 रुपये से कम के ट्रांजैक्शन पर MDR चार्ज नहीं लगता है.
IIT, बंबई के एक अध्ययन में सुझाव दिया गया कि MDR के लिए 0.6 प्रतिशत की दर पर ऊपरी सीमा 150 रुपये तय की जानी चाहिए. अध्ययन में कहा गया है कि डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए पीओएस (Pos) आधारित पेमेंट स्वीकार करने वाले छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए सीमा घटाई जा सकती है.
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2000 रुपए के लेन-देन पर MDR
जहां कारोबार दो करोड़ रुपये तक है, वहां 2,000 रुपये तक के लेन-देन के लिए MDR सीमा 0.25 प्रतिशत तक की जा सकती है, जबकि 2,000 से अधिक के लेनदेन के लिए यह सीमा 0.6 प्रतिशत तक हो सकती है.
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डेबिट कार्ड पर एमडीआर
इस समय 20 लाख रुपये या अधिक के टर्नओवर वाले बिजनेस के लिए डेबिट कार्ड एमडीआर की सीमा लेन-देन मूल्य का 0.9 प्रतिशत है, जो अधिकतम 1,000 रुपये तक हो सकती है.
रिपोर्ट में डिजिटल लेन-देन के लिए इंफ्रा को बढ़ावा देने के लिए Pos मशीनों पर GST को हटाने की सिफारिश भी की गई है. रिपोर्ट में महंगे क्रेडिट या डेबिट कार्ड के इस्तेमाल से जुड़ी कमियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि RBI को भारत क्यूआर (Bharat QR) को सावधानी से बढ़ावा देने की जरूरत है.
देखा गया है कि कई बार शॉपिंग के दौरान कार्ड पेमेंट को दुकानदार मना कर देते हैं. दुकानदारों का तर्क होता है कि कार्ड से पेमेंट करने पर 2 फीसदी अलग से चार्ज लगेगा. अलग से लिए जाने वाले इस चार्ज को ही एमडीआर कहते हैं.
एमडीआर वह शुल्क है जो दुकानदार आपसे डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर लेता है. दुकानदार की ओर से ली गई रकम का बड़ा हिस्सा क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को मिलता है. पीओएस मशीन जारी करने वाले बैंक और पेमेंट कंपनी को भी कुछ हिस्सा जाता है.