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क्रेडिट कार्ड बिल पर भी लागू होगी ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम, जानिए क्या हैं नियम

Credit card debt settlement: केंद्र सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक के लोन के 'ब्याज पर ब्याज' (interest on interest) माफी का ऐलान किया है.
Updated on: October 26, 2020, 01.46 PM IST
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सरकार की गाइडलाइंस के तहत मिलेगी ये राहत

क्रेडिट कार्ड के बकाया पर, ब्याज दर 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 के टाइम पीरियड के दौरान अपने ग्राहकों से EMI आधार पर फाइनेंस लेनदेन के लिए भारित वेटेज एवरेज लेंडिग रेट (WALR) के आधार पर लिया जाएगा. MSME, एजुकेशन, हाउसिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल, क्रेडिट कार्ड बकाया, ऑटो, पर्सनल और कंज्म्पशन लोन को इस स्कीम के दायरे में शामिल किया गया है. क्रेडिट कार्ड बकाये पर WALR की गणना कार्ड जारी करने वाली संस्था के वैधानिक लेखा परीक्षक द्वारा सर्टिफाइड की जाएगी.

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WALR को ही बेंचमार्क दर के तौर पर माना जाएगा

आमतौर क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली एजेंसी ईएमआई फाइनेंस करने के लिए ब्याज दर की रेंज पर निर्भर रहती है. चूंकि, इसमें कोई यूर्निफॉर्म दर उपलब्ध नहीं है, ऐसे में WALR को ही बेंचमार्क दर के तौर पर माना जाएगा. सरकार ने इस बारे में जानकारी दी है. क्रेडिट कार्ड समेत अन्य सभी तरह के कुल लोन पर 29 फरवरी 2020 तक बकाये रकम पर ही ब्याज की गणना की जाएगी.

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इस आधार पर मिलेगा कैशबैक

जो लोन अकांउट लोन मोरेटोरियम की 6 महीने की अवधि में ही बंद हो गए हैं, उनके ​लिए भी क्रेडिट टाइम 1 मार्च से लेकर उस दिन तक के लिए होगा, जिस दिन लोन अकाउंट बंद हुआ है. ब्याज का कैल्कुलेशन करते समय मोरेटोरियम की टाइमिंग में लोन अकाउंट में ब्याज पर लगने वाले ब्याज को घटा दिया जाएगा. इस योजना के तहत, कर्ज देने वाली संस्था लोन अकाउंट में Cumulative interest और साधारण ब्याज के बीच का अंतर कैशबैक के तौर पर देगी. ये सुविधा सिर्फ लोन मोरेटोरियम के 6 महीने के टाइम पीरियड के लिए होगी.

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लोन देने वाली एजेंसियां हरजाना क्लेम कर सकेंगी

पैसे जमा करने के बाद लोन देने वाली संस्थाएं केंद्र सरकार से कंपनशेशन क्लेम करेंगी. ब्याज माफ करने के लिए 5 नवंबर की समय सीमा निर्धारित की गई है. किसी ने कुल लोन (स्वीकृत सीमा या बकाया राशि) 2 करोड़ रुपये से ज्यादा लिया है तो उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा. लोन अकाउंट 29 फरवरी तक स्टैंडर्ड होने चाहिए यानी ये एनपीए नहीं होना चाहिए

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क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते समय इन बातों का रखें ध्यान

अगर आप ड्यू डेट में पेमेंट नहीं करते हैं तो मिनिमम पेमेंट के जरिए भी काम चलाया जा सकता है. हालांकि इसके लिए आपको कुछ चार्ज अलग से भरना होगा. एक ट्रांजैक्शन पर आपको तब तक इंट्रेस्ट भरना पड़ता है, जब तक वह पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता है. वहीं ड्यू डेट निकल जाने पर चार्ज काफी बढ़ जाता है. अगर ड्यू डेट तक फुल पेमेंट नहीं करते हैं तो आपको इंट्रेस्ट के साथ-साथ पेनाल्टी भी भरना होगा. इतना ही नहीं, आपको इंट्रेस्ट फ्री पीरियड का भी लाभ नहीं मिलेगा. अगर आप तुरंत पूरा पैसा नहीं चुका सकते तो कम से कम 100 फीसदी मिनिमम अमाउंट जरूर चुका दें. इससे आप लेट फीस से बच सकते हैं. बिल को कैरी फॉरवर्ड करने पर आपको आउटस्टैंडिंग अमाउंट पर सालाना 36-42 पर्सेंट तक इंट्रेस्ट भरना होगा.