Online Fraud:  डाटा सिक्योरिटी (Data security) के नियम और ग्राहकों को ऑनलाइन फ्रॉड (Online Fraud) से बचाने का अब नया तरीका होगा आपके कार्ड से जुड़ा एक टोकन नंबर. यह हर मर्चेंट का अलग टोकन नंबर होगा जिसके लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट को कार्ड पेमेंट कंपनियों से करार करना होगा. क्योंकि डाटा सिक्योरिटी में ग्राहकों के हितों को देखते हुए रिजर्व बैंक किसी भी तरह का रियायत देने के मूड में नहीं है, इसलिए टोकेनाइजेशन के जरिए ही ऑटो डेबिट पेमेंट और बार-बार 16 अंक डिजिट डालने पर निजात पाई जा सकती है.

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टोकन और कहीं इस्तेमाल नहीं हो पाएगा

खबर के मुताबिक, ई-कॉमर्स (e-commerce) मर्चेंट और पेमेंट प्रोवाइडर के बीच जारी हुआ टोकन और कहीं इस्तेमाल नहीं हो पाएगा और फ्रॉड की संभावना काफी कम हो जाएगी, और इस तरह से पेमेंट से जुड़ी प्रक्रिया भी जटिल होने की जगह आसान हो जाएगी. टोकन आईडी एक तरह से यूपीआई (UPI) आईडी की तर्ज पर होगी जहां पर ग्राहक अपनी सभी डिटेल जारी किए बिना पेमेंट कर पाएगा.

सारे यूटिलिटी पेमेंट पर ऑटो डेबिट बंद हो जाएगा

कई सारी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपना खुद का पेमेंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म शुरू कर दिया है जहां से ग्राहकों को सुलभ पेमेंट इंटरफेस का एक्सपीरियंस दिया जा सके. 1 अक्टूबर से आपके डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के ऑटो डेबिट पर एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिकेशन के नियम लागू हो जाएंगे. इसमें अलग-अलग पेमेंट के लिए ग्राहक की मंजूरी जरूरी होगी यानी कई सारे यूटिलिटी पेमेंट पर ऑटो डेबिट बंद हो जाएगा.

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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कंपनियां डाटा स्टोर नहीं कर सकती

कुछ महीने बाद यानी 1 जनवरी 2022 से हर बार डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते वक्त आपको 16 डिजिट का नंबर ऑनलाइन मर्चेंट वेबसाइट को बताना जरूरी होगा क्योंकि रिजर्व बैंक के डाटा सिक्योरिटी के नियम मैं ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कंपनियां डाटा स्टोर नहीं कर सकती.