नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) ने सभी कंपनियों और उनके ऑडिट समिति को कहा है कि अगर कंपनी ने बैंक से उधार लिया था, और वो लोन NPA यानी कि नॉन परफॉर्मिंग एसेट में शामिल हो जाता है तब भी ऐसे कर्ज की रिपोर्टिंग की जाना जरूरी है. इस रिपोर्टिंग में मूलधन और ब्याज दोनों को ही शामिल किया जाएगा. NFRA ने इंडियन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड के नियमों का पालन करने के लिए हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें ये साफ किया कि किसी भी मामले में प्रिंसिपल अमाउंट या फिर इंटरेस्ट की रिपोर्टिंग बंद नहीं की जाना चाहिए. भले ही बैंकों के साथ किसी रियायत के चलते निपटारा किया जाना हो. 

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बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के लिए जरूरी 

कंपनी सचिवों को भी सर्कुलर के जरिए ये सलाह दी गई है कि वो अपनी कंपनी को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को इस सर्कुलर के बारे में जानकारी दें. आपको बता दें शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी विकास डब्ल्यूएसपी लिमिटेड के चार्टेड अकाउंटेंट द्वारा प्रोफेशनल मिसकंडक्ट का मामला सामने आने के बाद ये सर्कुलर जारी किया गया.

इंडियन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड के नियमों का उल्लंघन 

NFRA ने कहा कि “एक अनुशासनात्मक कार्रवाई के चलते ये मामला NFRA के सामने आया जहां पाया गया कि एक लिस्टेड कंपनी Vikas WSP Limited ने साल 2019-20 के दौरान बैंक उधार पर हुए इंटरेस्ट एक्सपेंस के फाइनेंशियल स्टेटमेंट शेयर करना बंद कर दिए हैं. जिन्हें बैंक द्वारा NPA घोषित कर दिया गया था. ऐसे करना प्रोफेशनल मिसकंडक्ट एक्ट के section 132(4) का उल्लंघन है.” आपको बता दें National Financial Reporting Authority ने ये बात ऑफिशियल प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो के जरिए दी. यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह के उल्लंघन न हों और कंपनियों के वित्तीय विवरणों की सही और निष्पक्ष प्रस्तुति की जाए, एनएफआरए ने इस विषय पर सभी कंपनियों, लेखा परीक्षा  समितियों और वैधानिक लेखा परीक्षक का ध्यान आकर्षित करने के लिए 20.10.2022 को एक सर्कुलर जारी किया है. कंपनी सचिवों को सलाह दी गई है कि वे अपनी कंपनियों के निदेशक मंडल का ध्यान सर्कुलर में दी गई जानकारी की तरफ आकर्षित करें. इनका पालन न करना नियमों का उल्लंघन होगा.

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