वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) द्वारा 66 मामलों का निपटान किए जाने से बैंक अपने करीब 80,000 करोड़ रुपये के पुराने फंसे कर्ज की वसूली कर पाए हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मार्च अंत तक बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये की और प्राप्ति हो सकती है. वित्त मंत्री ने गुरुवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वाणिज्यिक दिवाला मामलों के निपटान में वह ‘पुरातन प्रणाली’ की विरासत छोड़कर गई है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने गैर-निष्पादित कर्जों (एनपीए) की वसूली की दिशा में तेजी से कार्रवाई की और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) भी बनाई.

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वित्त मंत्री ने बताया कि एनसीएलटी ने कॉरपोरेट दिवाला मामले 2016 के अंत से लेना शुरू किए और अभी तक उसने 1,322 मामले सुनवाई के लिए स्वीकार किए हैं. उन्होंने बताया कि 4,452 मामले ऐसे रहे जिनका निपटान इन्हें एनसीएलटी द्वारा सुनवाई के लिये स्वीकार किए जाने से पहले ही हो गया. वहीं 66 मामलों का न्याय निर्णय के बाद निपटान किया गया. 260 मामलों में परिसमापन का आदेश दिया गया.

जेटली ने फेसबुक पोस्ट ‘दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के दो साल’ में लिखा है कि 66 मामलों का निपटान किया गया और इनके जरिये कर्जदाताओं ने 80,000 करोड़ रुपये वसूले. भूषण पावर एंड स्टील तथा एस्सार स्टील जैसे 12 बड़े मामले निपटान के अंतिम चरण में हैं और इनका निपटारा इसी वित्त वर्ष में होने की उम्मीद है. इससे बैंकों को करीब 70,000 करोड़ रुपये की रिण वसूली होगी. वित्त मंत्री ने कहा कि एनसीएलटी उच्च विश्वसनीयता का एक भरोसेमंद मंच बन चुका है.

उन्होंने कहा कि कंपनी को दिवाला की स्थिति में पहुंचाने वाले प्रबंधन से बाहर हो रहे हैं. नए प्रबंधन का चयन ईमानदार और पारदर्शी प्रक्रिया से हुआ है. इन मामलों में किसी तरह का राजनीतिक या सरकार की ओर से हस्तक्षेप नहीं है. एनसीएलटी के आंकड़ों के अनुसार, 4,452 मामलों का निपटान विचारार्थ स्वीकार किए जाने से पहले ही कर लिया गया. जेटली ने बताया कि इन मामलों में 2.02 लाख करोड़ रुपये की राशि का निपटान होने का अनुमान है.

जेटली ने कहा कि जिस तेजी से एनपीए मानक खातों में तब्दील हो रहे हैं और एनपीए श्रेणी के नए खातों में कमी आ रही है उससे पता चलता है कि कर्ज देने और उधार लेने के व्यवहार में निश्चित रूप से सुधार हो रहा है. वित्त मंत्री ने कहा कि 2008 से 2014 के दौरान बैंकों ने ‘अंधाधुंध’ कर्ज बांटा जिसकी वजह से एनपीए का प्रतिशत काफी ऊंचा हो गया. रिजर्व बैंक की परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा से यह तथ्य सामने आया है.