आए दिन एनपीए (NPA) यानी नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स को लेकर सवाल उठते रहते हैं. संसद में भी इसे लेकर सवाल उठा तो 18 दिसंबर को वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में लोन डिफॉल्टर के आंकड़े जारी किए. उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक के 31 मार्च 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों में 2,05,58,528 एनपीए अकाउंट हैं. इनमें से 2,04,21,889 वह अकाउंट हैं, जिनमें एनपीए का आंकड़ा 5 करोड़ रुपये या उससे कम है. उन्होंने बताया कि इन पैसों की रिकवरी के लिए डिफॉल्टर्स के खिलाफ बैंकों की तरफ से सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.

क्या पूछा गया था सवाल?

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कोलकाता दक्षिण से टीएमसी की नेता और लोकसभा सदस्य माला रॉय ने पूछा था कि क्या वित्त मंत्री बता सकती हैं कि क्या सरकार के पास देश के लोन डिफॉल्टर्स का डाटा है? अगर हां, तो क्या उसकी डीटेल बताई जा सकती हैं? ऐसे कितने डिफॉल्टर हैं, जिन्होंने 5 करोड़ रुपये से कम का डिफॉल्ट किया है और उनसे पैसे रिकवर करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

क्या मिला जवाब?

इसके जवाब में भागवत कराड ने डिफॉल्टर्स की संख्या के बारे में बताया और कहा कि बैंकों की तरफ से रिकवरी के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. इसके तहत सिविल कोर्ट या डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में केस फाइल किए जा रहे हैं. यह एक्शन वित्तीय संपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002) के तहत उठाए जा रहे हैं. साथ ही दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016) के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (National Company Law Tribunal) में केस फाइल किए जा रहे हैं.