मोराटोरियम के बाद अब लक्ष्मी विलास बैंक के मर्जर की तैयारी, इस बैंक में हो सकता है विलय
Lakshmi Vilas Bank moratorium: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) पर पाबंदी लगा दी है. बैंक पर एक महीने के लिए मोराटोरियम के तहत बैन लगाया गया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) पर पाबंदी लगा दी है. बैंक पर एक महीने के लिए मोराटोरियम के तहत बैन लगाया गया है. मोराटोरियम के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लक्ष्मी विलास बैंक का DBS बैंक इंडिया लिमिटेड (DBS Bank India Limited) में विलय का प्रस्ताव रखा. प्रस्ताव की मंजूरी के बाद लक्ष्मी विलास बैंक को DBS बैंक इंडिया लिमिटेड में मर्ज किया जा सकता है.
बुरी तरह बिगड़ चुकी है वित्तीय स्थिति (Lakshmi Vilas financial status)
DBS बैंक इंडिया लिमिटेड सिंगापुर की DBS बैंक लिमिटेड की पूर्व स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है. केंद्रीय बैंक ने बैंक की वित्तीय स्थिति के बुरी तरह बिगड़ने का हवाला देते हुए बैंक के बोर्ड को अपने नियंत्रण में लेने का निर्णय किया है. इसके साथ ही केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी अध्यक्ष (नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन) टी. एन. मनोहरन को बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है. फिलहाल बैंक पर 1 महीने के लिए मोराटोरियम लागू है. इस दौरान प्रति व्यक्ति अकाउंट से 25000 रुपए से ज्यादा निकासी नहीं कर सकेंगे.
DBS का पैरेंटेज काफी मजबूत (Lakshmi vilas merger with DBS bank)
RBI के मुताबिक, DBS बैंक सिंगापुर एशिया के लीडिंग फाइनेंस सर्विस ग्रुप DBS ग्रुप होल्डिंग्स लिमिटेड की सहायक कंपनी है. कंपनी का पैरेंटेज काफी मजबूत है. RBI ने कहा कि DBS बैंक इंडिया के पास एक मजबूत बैलेंस शीट है, जिसमें मजबूत पूंजी समर्थन है. 31 मार्च को 7,023 करोड़ रुपए की पूंजी के मुकाबले 30 जून को इसकी कुल विनियामक पूंजी 7,109 करोड़ रुपए थी.
वित्तीय वर्ष 2020 में बैंक का घाटा 836 करोड़ रुपए हुआ था. इसी तरह, 30 जून को खत्म हुई तिमाही में बैंक को 112 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था. लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड को 17 नवंबर को मोरेटोरियम के अंतर्गत रखा गया है, जो 16 दिसंबर तक प्रभावी रहेगा.
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बैंक में NPA और घाटा बढ़ने की आशंका (Lakshmi Vilas NPA and deficit)
भारतीय रिजर्व बैंक को इस बैंक की हालत देखते हुए यह आशंका है कि बैंक में NPA और घाटा आगे भी बढ़ सकता है. आंकड़ों के मुताबिक, जून तिमाही में CET1 घटकर -1.83% और CRAR 0.17% रहा. केंद्रीय बैंक को यह भी आशंका है कि आगे बैंक में कोई नई पूंजी आएगी. इस बैन के बाद जब बैंक की फाइनेंशियल स्थिति ठीक हो जाएगी तब इस मोरेटोरियम को हटाया जाएगा.