ऐसा कई लोगों के साथ होता है कि आधी रात में किसी दूर-दराज के स्टोर में उनके डेबिट या क्रेडिट कार्ड से अच्छी-खासी शॉपिंग कर ली जाती है. कई बार एटीएम के जरिए पैसे निकाले जाने का एसएमएस मिलता है, जबकि डेबिट कार्ड आपकी जेब में होता है. हम में से कई लोग इस बैंकिंग फ्रॉड (धोखे) का शिकार बनते हैं. इस तरह की शिकायतों की बढ़ती संख्या के चलते भारतीय रिजर्व बैंक ने इलेक्ट्रोनिक ट्रांसफर को सुरक्षित बनाने के लिए नए नियम तैयार किए हैं.

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6 जुलाई, 2017 को आरबीआई ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें ग्राहक सुरक्षा के नए नियमों के बारे में बताया गया है. अच्छी बात यह है कि यदि ग्राहक साबित कर देता है कि यह भुगतन फ्रॉड है तो इसकी भरपाई बैंक को करनी पड़ेगी. 

बैंकों को क्या करना होगा

इस अधिसूचना के अनुसार, "इलेक्ट्रोनिक बैंकिंग लेन-देन के लिए बैंकों को प्रणाली और प्रक्रिया को ग्राहकों की सुरक्षा के मद्देनजर बनाना होगा." साथ ही बैंकों को अपने ग्राहकों को एसएमएस के जरिए सूचित भी करना होगा. बैंक उन ग्राहकों को एटीएम के अलावा कोई भी अन्य इलेक्ट्रोनिक सुविधा नहीं देंगे, जो अपना मोबाइल नंबर पंजीकृत नहीं करवाते. बैंकों को ग्राहकों को यह बताना अनिवार्य है कि किसी भी अनाधिकृत लेन-देन की जिम्मेदारी बैंक तक पहुंचाना ग्राहकों की जिम्मेदारी है. ग्राहक जितनी देर से इस बात की सूचना बैंकों तक पहुंचाएंगे, उतना ही जुर्माना उन्हें भरना पड़ेगा.

ग्राहकों की शून्य देयता

यदि फ्रॉड बैंक की लापरवाही से हुआ है, तो ग्राहक इसके लिए देय नहीं ठहराए जा सकते. उदाहरण के लिए यदि किसी भी कारणवश ग्राहकों की जानकारी को ताक पर रखा गया, या बैंक कर्मचारी इस फ्रॉड में संलिप्त पाए गए, तो इसका खामियाजा बैंकों को ही भुगतना होगा. आरबीआई की अधिसूचना के अनुसार, यदि फ्रॉड किसी तीसरी पार्टी की वजह से होता है, और ग्राहक तीन कामकाजी दिनों में इसकी सूचना बैंक को दे देता है, तो भी ग्राहक को यह नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. इस थर्ड पार्टी में हैकर, स्कैमर और फर्जीवाड़ा करने वाले लोग शामिल हो सकते हैं. इस तरह के फ्रॉड एटीएम के टैपिंग, वाई-फाई के साथ छेड़छाड़, एटीएम सर्वर या बैंक सर्वर में वायरस, दुकानों में पेमेंट के दौरान चुराई गई जानकारी या निजी कंप्यूटर के जरिए किए जाते हैं.

ग्राहकों की सीमित देयता 

यदि धोखा आपकी गलती की वजह से नहीं हुआ है, तो आप नुकसान का वहन नहीं करेंगे. हालांकि, यदि इसमें आपकी गलती है तो आपको खामियाजा भुगतना होगा. हालांकि, ऐसी स्थिति में भी आपके पास राहत की खबर है. यदि लेन-देन आपकी लापरवाही की वजह से हुआ है और आप इसकी सूचना सात कामकाजी दिन (या मैसेज प्राप्त होने के 3 दिन) के भीतर बैंक को देते है. इस स्थिति में आपकी देयता सीमित हो जाती है, जिसके लिए आरबीआई ने निर्देश जारी किए हैं.

खत्म हो जाता है आरबीआई का हस्ताक्षेप

हालांकि, आरबीआई का साफ आदेश है कि यदि ग्राहक इस बारे में सूचना देने के लिए सात दिनों से अधिक समय लेता है, तो इसमें ग्राहक की देयता बैंक के बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी के अनुसार ही तय की जाएगी. इसके बाद आरबीआई का हस्ताक्षेप खत्म हो जाता है. 

कितने दिनों में वापिस आएगा पैसा

अनाधिकृत इलेक्ट्रोनिक लेन-देन के मामले में बैकों को 10 कामकाजी दिनों के भीतर ग्राहकों को पैसा लौटाना होता है. डेबिट कार्ड या बैंक खाते द्वारा किए गए फ्रॉड में बैंकों को सुनिश्चित करना होगा कि ग्राहकों को ब्याज भी मिले. क्रेडिट कार्ड से फ्रॉड होने की स्थिति में ग्राहक पर ब्याज का बोझ न पड़े.

कैसे करें शिकायत

आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों में साफ कहा गया है कि बैंकों के लिए 24x7 शिकायत की सुविधा उपलब्ध करवाना अनिवार्य है. यह शिकायत एसएमएस, ई-मेल या आईवीआर के जरिए की जा सकती है. साथ ही कुछ बैंक ग्राहकों को बैंक के मैसेज पर रिप्लाई के जरिए भी सूचित करने की सुविधा देते हैं.

आपको क्या करना चाहिए

सबसे पहले तो अपनी बैंक खाते से जुड़ी कोई भी जानकारी किसी को भी न दें. 

आपके साथ ऐसा कोई धोखा हो तो इसकी सूचना सबसे पहले अपने बैंक को दें.

अपने पिन, पासवर्ड और इस तरह की जानकारी को बहुत ही सुरक्षित तरीके से रखें.

ध्यान रखें की आरबीआई बैंक के ग्राहकों को कॉल, ई-मेल या मैसेज नहीं करता है.

किसी भी प्रकार के लालच में आने से बचें क्योंकि यह आपको काफी महंगा पड़ सकता है.

पूर्व आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन ने अपनी किताब में लिखा, "तकनीक ने हमारे फाइनेंस पर अच्छा और बुरा, दोनों तरह का असर डाला है."