Joint Home Loan: अपने घर का सपना... हर कोई देखता है. उम्मीद होती है कि एक दिन वो अपना घर ले पाएगा. लोगों के इस सपने को पूरा करने में होम लोन (Home Loan) बड़ी मदद करता है. लेकिन, होम लोन क्या काफी है? जेब पर बोझ कुछ ज्यादा नहीं होता? इसलिए जरूरी नहीं है कि होम लोन अकेले लिया जाए, ज्वाइंट होम लोन (Joint Home Loan) एक बेहतर विकल्प है. पति-पत्नी, भाई, बहन, मां-पिता के साथ ज्वाइंट लोन लिया जा सकता है. ज्वाइंट में होम लोन लेने के फायदे तो हैं.

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ज्यादातर मामलों में परिवार के मुखिया के नाम से होम लोन (Home loan) किया जा जाता है, लेकिन अगर ज्वाइंट होम लोन लिया जाए, तो ये आपके लिए अधिक फायदेमंद हो साबित हो सकता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ज्वाइंट होम लोन (Joint Home loan) लेने से 'ज्यादा लोन तो मिलता ही है टैक्स बेनिफिट भी ज्यादा होता है. को-एप्लीकेंट्स के साथ मिलकर होम लोन लेने के कई फायदे हैं.' आइए ज्वाइंट होम लोन के कुछ फायदों के बारे में जानें-

1. लोन लेने की योग्यता बढ़ जाती है.

2. आप ज्यादा बड़ा घर खरीद सकते हैं.

3. आप अपनी पसंद की जगह पर घर खरीद सकते हैं.

4. ज्यादा टैक्स बेनिफिट (Income tax benefit) हासिल कीजिए.

5. महिला को-एप्लीकेंट (Co-applicant) होने पर कम ब्याज दर (Joint Home loan Interest rate) का फायदा.

6. साथ में को-एप्लीकेंट के होने से होम लोन अप्रूव होने के चांस बढ़ जाते हैं. 

ज्वाइंट होम लोन के फायदे

ज्वाइंट होम लोन (Joint Home loan) पर ब्याज दर काफी आकर्षक होती है. साथ का क्रेडिट स्कोर (Credit Score) अच्छा हो तो लोन ज्यादा मिलता है. इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, ज्वाइंट होम लोन (Joint Home loan) में दोनों लोग सेक्शन 80C के तहत इनकम टैक्स बेनिफिट का दावा कर सकते हैं. लेकिन, इसके लिए दोनों का को-ऑनर होना जरूरी है. दोनों ब्याज पर 2 लाख रुपए और मूलधन पर 1.5 लाख रुपए का फायदा ले सकते हैं.

को-एप्लीकेंट और को-ऑनर में अंतर

यहां को-एप्लीकेंट (Co-Applicant) और को-ऑनर (Co-Owner) में अंतर समझने की जरूरत है. को-ऑनर उस प्रॉपर्टी का साझा मालिक है, जबकि को-एप्लीकेंट के लिए उसे प्रॉपर्टी का मालिक होना जरूरी नहीं है. सामान्य सिद्धान्त है कि को-ऑनर ही को-एप्लीकेंट होगा, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं. को-एप्लीकेंट की जिम्मेदारी लोन चुकाने की है.

कौन बन सकता है को-एप्लीकेंट?

आमतौर पर परिवार के करीबी सदस्य को-एप्लीकेंट बन सकते हैं. इस तरह पति/पत्नी, भाई/बहन या बच्चों को को-एप्लीकेंट बनाया जा सकता है. को-एप्लीकेंट वेतनभोगी या सेल्फ एम्प्लॉइड हो सकता है, भारतीय या NRI भी हो सकता है.

​इन बातों का ध्यान रखना जरूरी

अगर को-एप्लीकेंट का क्रेडिट स्कोर कमजोर है तो आपकी एप्लीकेशन रिजेक्ट हो सकती है. कर्ज देने वाला बैंक भी तब ज्वाइंट होम लोन देगा, जब दोनों-एप्लीकेंट के भुगतान करने की क्षमता ठीक हो. हालांकि, कई बार बैंक आपकी मजबूरी को देखते हुए एप्लीकेशन रिजेक्ट करने के बजाए ऊंची ब्याज दर पर लोन ऑफर करते हैं. आपका और आपके को-एप्लीकेंट का कर्ज और आय का अनुपात 50 से 60 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए.