रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को कहा है कि कर्ज वसूली की समस्या कम होने से चालू वित्त वर्ष में बैंकों के अवरुद्ध ऋणों (एनपीए) का अनुपात करीब 1.80% घटकर 8.5% पर आ सकता है. इससे सरकारी क्षेत्र के बैंकों के चार साल में पहली बार फायदे में आने की संभावना है. एजेंसी का अनुमान है कि बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2019 में समाप्त वित्त वर्ष में उनके बकाया कर्ज का 10.3% रहेगा.

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कर्ज बाजार की स्थिति पर क्रिसिल की छमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018-19 के 10.3 प्रतिशत की तुलना में 2019-20 में एनपीए का स्तर 1.80% कम हो कर 8.5% रह जायेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बीच एनपीए की समस्या में कमी आ रही है.

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इसमें कहा गया है कि अदायगी में असफलता कम होने के साथ साथ दिवाला प्रक्रिया के तहत एनपीए के समाधान से एनपीए का स्तर कम होगा. वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही में साख अनुपात (सम्पत्ति गुणवत्ता में गिरावट के मुकाबले सुधार) 1.81 गुना रहा. पहली छमाही में साख अनुपात 1.68 गुना था.