केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को संसद में बजट पेश करते हुए कई बड़े ऐलान किए. वित्त मंत्री ने आईडीबीआई बैंक (Industrial Development Bank of India) में सरकार की पूरी हिस्सेदारी खत्म करने का भी ऐलान किया. 

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निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) में अपनी पूरी हिस्सेदारी निजी कारोबारियों को बेचेगी.

घोषणा का असर

संसद में वित्त मंत्री के इस ऐलान का असर बाजार पर फौरन दिखाई देने लगा. बजट के कारण शनिवार को शेयर मार्केट खुला था. इस घोषणा के बाद आईडीबीआई बैंक के शेयर 12 फीसदी से अधिक बढ़कर 38.25 रुपये पर पहुंच गए और प्रति शेयर 4.20 का लाभ हुआ. यह शनिवार 38.30 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा था.

सरकार आईडीबीआई बैंक में लगभग 46.5 फीसदी हिस्सेदारी रखती है और एलआईसी द्वारा इसका अधिग्रहण किए जाने के बाद इसे निजी बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

बता दें कि आईडीबीआई बैंक लंबे समय से आर्थिक संकट से गुजर रहा है. बैंक को संकट से उबारने के लिए पिछले साल सितंबर में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और सरकार ने बैंक में इक्विटी पूंजी के रूप में 9,300 करोड़ रुपये का निवेश किया था. 

कैबिनेट बैठक ने आईडीबीआई बैंक के रीकैपिटलाइजेशन (पुन: पूंजीकरण) को मंजूरी दे दी थी. इसमें एकबार में सरकार और एलआईसी दोनों ने पैसा डाले थे. 9,300 करोड़ रुपए में से 4,557 करोड़ रुपए सरकार ने दिए थे, जबकि 4,743 करोड़ रुपए एलआईसी की ओर से दिए गए थे. 

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आईडीबीआई एक सरकारी बैंक था, जो 1964 में देश में बना था. LIC ने IDBI में 21000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 फीसदी हिस्सेदारी ख़रीदी थी. इसके बाद LIC और सरकार ने मिलकर 9300 करोड़ रुपये IDBI बैंक को दिये थे. इसमें एलआईसी की हिस्सेदारी 4,743 करोड़ रुपये थी. 

अब सरकार द्वारी पूरी हिस्सेदारी बेचे जाने के बाद यह बैंक पूरी तरह से एक प्राइवेट बैंक हो जाएगा.