बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियां (NPA) यानी फंसा कर्ज चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 8 से 9 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है. क्रेडिट निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल ने यह कहा. पीटीआई की खबर के मुताबिक, अगर ऐसा होता है, तो यह वित्त वर्ष 2017-18 के आखिर के 11.2 प्रतिशत के आंकड़े से काफी कम होगा. क्रिसिल के मुताबिक, कर्ज पुनर्गठन और आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ECLGS) जैसे कोविड-19 राहत उपायों से बैंकों के सकल एनपीए (non-performing assets) को सीमित रखने में मदद मिलेगी.

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खुदरा और एमएसएमई सेक्टर का कर्ज में योगदान

खबर के मुताबिक, उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के आखिरी तक करीब दो प्रतिशत बैंक ऋण के पुनर्गठन की संभावना है. ऐसे में सकल एनपीए और पुनर्गठन के अंतर्गत आने वाला कर्ज समेत दबाव वाली संपत्ति 10-11 प्रतिशत पहुंच जाने का अनुमान है. रेटिंग एजेंसी के वरिष्ठ निदेशक और उप मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमण ने रिपोर्ट में कहा कि खुदरा और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम) खंडों का कुल कर्ज में योगदान करीब 40 प्रतिशत है. इस बार इन क्षेत्रों में एनपीए और दबाव वाली संपत्तियां बढ़ने की आशंका है. उन्होंने कहा कि इन दोनों खंडों में दबाव वाली संपत्तियां चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर क्रमश: 4-5 प्रतिशत और 17-18 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है.

90,000 करोड़ रुपये के एनपीए की बिक्री की उम्मीद

क्रिसिल ने कहा कि राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी लि. (एनएआरसीएल) के चालू वित्त वर्ष के अंत तक परिचालन में आने के साथ पहले दौर में 90,000 करोड़ रुपये के एनपीए की बिक्री की उम्मीद है. इससे सकल एनपीए की सूचना में कमी देखने को मिल सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, कॉरपोरेट क्षेत्र ज्यादा मजबूत बना हुआ है. पांच साल पहले संपत्ति क्वालिटी समीक्षा के दौरान कंपनियों में ज्यादातर दबाव वाली संपत्तियों की पहचान पहले ही हो चुकी है.

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कंपनियों के बही-खाते मजबूत हुए

रिपोर्ट में कहा गया है, इससे, कंपनियों के बही-खाते मजबूत हुए और वे खुदरा और एमएसएमई के मुकाबले बेहतर तरीके से महामारी की चुनातियों से निपटने में सक्षम रहे. यही वजह है कि इस खंड में सिर्फ लगभग एक प्रतिशत कर्ज का ही पुनर्गठन हुआ है. इससे कॉरपोरेट क्षेत्र में दबाव वाली संपत्ति चालू वित्त वर्ष में 9 से 10 प्रतिशत के दायरे में रहने की संभावना है.