सरकारी बैंकों (Government Banks) को सरकार की तरफ से और पूंजी (Capital) उपलब्ध कराई जा सकती है. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी दिसंबर 2020 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी उपलब्ध करा सकता है. संसद के हाल में खत्म हुए सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 20,000 करोड़ रुपये के फंड को मंजूरी दी गई है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, संसद ने 2020-21 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांग (Supplementary Demand for Grants) के पहले बैच के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 20,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.

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खबर के मुताबिक, अगर जरूरत पड़ती है कि जरूरी रेगुलेटरी कैपिटल को पूरा करने के लिए अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराई जा सकती है. सूत्रों का कहना है कि बैंकों के दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के नतीजों से अंदाजा लग जाएगा कि किस बैंक को रेगुलेटरी कैपिटल की जरूरत है और उसी के मुताबिक रीकैपिटलाइजेशन बॉन्ड जारी किए जाएंगे.

सरकारी बैंकों को चालू वित्त वर्ष में इक्विटी और बॉन्ड के जरिये पूंजी जुटाने को पहले ही शेयरहोल्डर्स की मंजूरी मिल चुकी है. सरकार ने बजट 2020-21 में सरकारी बैंकों में पूंजी डालने को लेकर किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं जताई थी. सरकार को उम्मीद थी कि बैंक अपनी जरूरत के हिसाब से बाजार से पूंजी जुटा लेंगे. वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये डाले थे.

पिछले वित्त वर्ष में पंजाब नेशनल बैंक को सरकार से 16,091 करोड़ रुपये का निवेश मिला था. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 11,768 करोड़ रुपये, केनरा बैंक को 6,571 करोड़ रुपये और इंडियन बैंक को 2,534 करोड़ रुपये मिले थे.

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इसी तरह इलाहाबाद बैंक को 2,153 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 1,666 करोड़ रुपये और आंध्रा बैंक को 200 करोड़ रुपये मिले थे. इन तीनों बैंकों का अब दूसरे बैंकों के साथ मर्जर हो चुका है.