आप में से बहुत सारे लोगों के पास क्रेडिट कार्ड (Credit Card) होगा और जिनके पास नहीं है वह जरूर ये सोच रहे होंगे कि जल्द से जल्द क्रेडिट कार्ड लिया जाए. आपको आए दिन किसी न किसी बैंक की तरफ से क्रेडिट कार्ड लेने के लिए फोन भी आता ही होगा. जब एजेंट लोगों को क्रेडिट कार्ड देने के लिए फोन करते हैं तो वह उसके तमाम फायदे बताते हैं. कुछ तो ये भी बताते हैं कि कार्ड बिल्कुल मुफ्त में दिया जा रहा है, जिस पर आप जितने पैसे खर्च करेंगे, उतने रिवॉर्ड प्वाइंट मिलेंगे. कई बैंक तो अपने क्रेडिट कार्ड पर एनुअल चार्ज तक नहीं लेते हैं. यानी मुफ्त का कार्ड मिल रहा है, जिस पर कोई फीस भी नहीं लग रही है, ऊपर से बैंक रिवॉर्ड प्वाइंट्स भी दे रहे हैं, जिनसे भी ग्राहकों को फायदा हो रहा है. कुछ प्रीमियम कार्ड पर तो एयरपोर्ट पर लाउंज एक्सेस भी दिया जाता है. अब सवाल ये उठता है कि जब क्रेडिट कार्ड कंपनियां सब कुछ मुफ्त में ही दे रही हैं तो उनकी कमाई कैसे होती है?

ऐसे होती है क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई

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क्रेडिट कार्ड कंपनियां एक कर्ज देने वाले बिजनेस की तरह काम करती हैं. क्रेडिट का मतलब होता ही कर्ज है. यानी एक बात तो तय है कि इन कंपनियों को भी ब्याज से कुछ कमाई होती होगी. बता दें कि क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई के ब्याज के अलावा भी कई सोर्स हैं. आइए जानते हैं कैसे पैसे कमाती है कोई क्रेडिट कार्ड कंपनी.

ब्याज से होती है तगड़ी कमाई

क्रेडिट कार्ड कंपनियों की सबसे ज्यादा कमाई होती है ब्याज से. बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं तो अपने क्रेडिट कार्ड के बकाया को नहीं चुका पाते हैं और उस पर ब्याज लगता है. क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला ब्याज भी 30 फीसदी से लेकर 50 फीसदी के बीच हो सकता है. कई बार लोग ईएमआई पर कुछ ब्याज देकर सामान खरीदते हैं, जिससे भी उनकी कमाई होती है. हालांकि, ईएमआई पर सामान खरीदने की सूरत में ब्याज दरें 10-20 फीसदी के बीच ही रहती हैं. 

वहीं ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं तो क्रेडिट कार्ड से कैश निकालते हैं और उन्हें भी भारी-भरकम ब्याज चुकाना पड़ता है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्रेडिट कार्ड से कैश कौन निकालता होगा, लेकिन आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल अप्रैल से इस साल अप्रैल तक लोगों ने हर महीने 300-400 करोड़ रुपये निकाले हैं.

इसके अलावा तमाम क्रेडिट कार्ड कंपनियां लोगों को लोन भी मुहैया कराती हैं. इस लोन पर वह ब्याज कमाती हैं. यह ब्याज 12-24 फीसदी तक का होता है. क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों को कभी ना कभी तो लोन की जरूरत पड़ती ही है, ऐसे में क्रेडिट कार्ड कंपनी इस तरीके से भी पैसे कमाती है.

इंटरचेंज इनकम

क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई का दूसरा तरीका है इंटरचेंज इनकम. जब भी कोई ग्राहक क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करता है तो मर्चेंट पर एक मर्चेंड डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर फीस लगाई जाती है. यह फीस ट्रांजेक्शन वैल्यू की 1-3 फीसदी के बीच होती है. एमडीआर फीस को कई पार्टियों के बीच बांटा जाता है, जिनमें पेमेंट ईकोसिस्टम, कार्ड ट्रांजेक्शन प्रोसेस करने वाला बैंक और कार्ड नेटवर्क शामिल होते हैं. इसमें कार्ड जारी करने वाली कंपनी की तरफ से एक इंटरचेंज फीस लगाई जाती है तो कुल एमडीआर का सबसे बड़ा हिस्सा होती है.

मेंबरशिप फीस

कई क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने ग्राहकों से एक मेंबरशिप फीस भी लेती हैं. यह फीस कुछ बैंक एक निश्चित सीमा तक ट्रांजेक्शन के बाद ग्राहकों को वापस कर देते हैं, लेकिन कुछ बैंक ऐसा नहीं करते हैं. इसे कई बैंक एनुअल फीस भी कहते हैं. ऐसे में मेंबरशिप फीस भी क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई का एक हिस्सा होती है. क्रेडिट कार्ड पर जितने ज्यादा बेनेफिट होते हैं, उस पर लगने वाली फीस उतनी ही अधिक होती है.

ज्वॉइनिंग फीस

कुछ बैंक ग्राहकों से क्रेडिट कार्ड लेने के लिए एक ज्वॉइनिंग फीस भी लेते हैं. यह भी उनकी एक तरह की कमाई ही है. हालांकि, बहुत कम ही बैंक हैं जो ज्वाइनिंग फीस लेते हैं, अधिकतर बैंक या तो ज्वाइनिंग फीस नहीं लेते हैं या फिर उस फीस के बराबर के बेनेफिट शुरुआत में ही ग्राहकों को दे देते हैं.

कमाई के अन्य तरीके

तमाम क्रेडिट कार्ड कंपनियां और भी कई तरीकों से पैसे कमाती हैं. ये कंपनियां बैलेंस ट्रांसफर फीस, लेट पेमेंट फीस, कैश एडवांस फीस, फॉरेन ट्रांजेक्शन फीस और कुछ अन्य चार्ज भी लगाती हैं.

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