हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति की समीक्षा की थी. इसके बाद तय किया गया कि रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और उन्हें 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा जाएगा. बता दें कि आखिरी बार फरवरी के महीने में रेपो रेट को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था, उसके बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. रेपो रेट में बदलाव नहीं होने की वजह से उन लोगों को काफी फायदा हो गया है, जो एफडी (FD) कराना चाहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा वक्त में एफडी रेट्स (FD Rates) काफी अधिक हैं और माना जा रहा है कि यह अपने उच्चतम स्तर पर हैं. अब सवाल ये उठता है कि क्या ये हाई रेट पर एफडी (Fixed Deposit) कराने का आखिरी मौका है? क्या इसके बाद ब्याज दरें गिर जाएंगी?

एफडी के लिए बेस्ट टाइम

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Optima Money Managers Pvt. Ltd. के सीईओ और एमडी पंकज मठपाल कहते हैं- 'अभी ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि आने वाले दिनों में भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कोई बदलाव किया जाएगा. वहीं कुछ महीनों बाद हो सकता है कि रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की जाए.' अगर ब्याज दरों में कटौती की जाती है तो इसका सीधा असर बैंकों पर होगा और वह भी अपनी ब्याज दरों में कटौती करेंगे. यानी उम्मीद है कि कुछ महीनों तक तो एफडी की ब्याज दरों में गिरावट नहीं आएगी. ऐसे में अगर कोई एफडी कराना चाहता है तो यह वक्त एफडी के लिए बहुत ही अच्छा है.

इन वजहों से रिजर्व बैंक कर सकता है ब्याज दरों में कटौती

ऐसी कई वजहें हैं, जिन्हें देखते हुए ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों मे भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में गिरावट देखी जा सकती है. आइए जानते हैं इनके बारे में.

महंगाई दर काफी हद तक काबू में

अगर देखा जाए तो पिछले कुछ महीनों से महंगाई दर में गिरावट देखने को मिल रही है. महंगाई को काबू में करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता है और मार्केट में करंसी के सर्कुलेशन को सीमित करता है. अक्टूबर में रिटेल महंगाई 4.87 फीसदी रही, इससे पहले सितंबर में 5.02 फीसदी और अगस्त में 6.83 फीसदी रही थी. हालांकि, नवंबर के महीने में फिर से खुदरा महंगाई बढ़कर 5.55 फीसदी पर पहुंच गई है. महंगाई को देखकर ऐसा लग रहा है कि महंगाई काबू में है, जिससे उम्मीद है कि अब रिजर्व बैंक दरों में कटौती कर सकता है.

कच्चे तेल के दाम गिरे

अगर कच्चे तेल को देखा जाए तो मई 2022 में यह 115 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा था. उसके बाद से कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल रही है. सितंबर 2023 में कच्चा तेल गिरकर 91 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा था. वहीं अब कच्चा तेल 72-74 डॉलर प्रति बैरल के बीच घूम रहा है. यह देखकर भी ऐसा ही लगता है कि अब रिजर्व बैंक को ब्याज दरों को और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत नहीं है, उल्टा उसमें कटौती देखी जा सकती है.

लंबे वक्त से नहीं बदले हैं रेट

भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से आखिरी बार फरवरी में 25 बेसिस प्वाइंट की बढोतरी की गई थी. उस वक्त रेपो रेट को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था. उसके बाद से लगातार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा हुआ है. हर बार बदलाव की उम्मीद की जाती है, लेकिन कोई बदलाव नहीं होता है. रेपो रेट पहले ही काफी ऊंचे स्तर पर है तो अब उम्मीद की जा रही है कि इसमें गिरावट आएगी, बैंक आने वाले वक्त में इसमें कटौती कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो एफडी की ब्याज दरें भी घटेंगी.