डेबिट कार्ड पर आपका नाम, कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट और सिक्योरिटी कोड जैसी कई जानकारी होती है. ये जानकारी कोई आम नहीं बल्कि फर्स्ट लेवल ऑफ सिक्योरिटी यानि की सुरक्षा का पहला पड़ाव है. अगर ये किसी के हाथ लग जाये तो इसका गलत उपयोग हो सकता है. और ये आपको भारी पड़ सकता है. इसी तरह आपके कार्ड के पीछे 3 अंकों का सुरक्षा कोड मौजूद होता है. जिसे सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है.

क्या है CVV ?

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CVV यानि की कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू (Card Verification Value), ये कार्ड के द्वारा किसी भी तरह का ऑनलाइन लेन - देन करने के लिए बेहद जरूरी है. CVV नंबर बैंक के द्वारा जनरेट कर कार्ड यूजर को दिया जाता है. इसे कभी किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए. 

CVV के होते हैं दो हिस्से

 

1. पहला हिस्सा काले रंग की मैग्नेटिक स्ट्रिप होती है. यहां यूनीक डाटा छिपा हुआ होता है. जिसे सिर्फ मैग्नेटिक रीडर मशीन में स्वाइप करने के बाद पढ़ा जा सकता है.

2. दूसरा हिस्सा होता है जहां आपको अंक लिखे दिखाई देंगे. इसकी जरूरत आपको ऑनलाइन पेमेंट के समय पढ़ती है. 

 

CVV क्यों है जरूरी ?

CVV आपके कार्ड के लिए सेफ्टी गार्ड की तरह काम करता है. ताकि कोई भी अन्य व्यक्ति या चोर आपके कार्ड का उपयोग ना कर सकें. अगर किसी के पास आपका कार्ड नंबर पहुंच भी जाता है तो भी वह व्यक्ति बिना CVV नंबर के पैसों का लेन-देन नहीं कर पाएगा.

CVV आपका PIN नहीं है!

PIN का उपयोग कर आप एटीएम से लेन-देन कर सकते हैं, लेकिन CVV का उपयोग ऑनलाइन पेमेंट के समय किया जाता है.

अगर कोई विश्वसनीय ऑनलाइन मर्चेंट जहां आप पेमेंट कर रहे हैं, आपसे CSC, CVC, CVV2, CIN आदि मांगता है तो कंफ्यूज ना हों. इन सभी का मतलब CVV ही है.