पैसों की सेविंग्स (Savings) के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) एक बेहतर ऑप्शन है. इसमें एक तय अवधि के बाद ब्याज के साथ आपकी राशि वापस मिल जाएगी. एफडी (FD) में आपको कई तरह के ऑप्शन मिलते हैं आप 7 दिनों से लेकर के एक साल, दो साल, तीन साल यहां तक कि 10 साल तक के लिए भी अपना पैसा लगा सकते हैं. वैसे तो अधिकतर लोग एफडी के लिए बैंक का रुख करते हैं, लेकिन आप चाहे तो बैंक एफडी (Bank FD) के बजाय कॉरपोरेट एफडी (Corporate FD) भी कर सकते हैं. कॉरपोरेट एफडी में आपको बैंक एफडी से कुछ अतिरिक्त रिटर्न मिल सकता है. 

कॉरपोरेट FD और बैंक FD में अंतर

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कॉर्पोरेट एफडी बहुत हद तक बैंक एफडी के समान है, लेकिन बैंक एफडी की तुलना में कॉर्पोरेट एफडी के मामले में जोखिम थोड़ा ज्यादा होता है. हालांकि, मजबूत और ज्यादा रेटिंग वाली कंपनियों की एफडी में जोखिम कम होता है. यह बिल्कुल उसी तरह से काम करती है, जैसे बैंक एफडी. इसके लिए फॉर्म कंपनी जारी करती है, जिसे ऑनलाइन भी भर सकते हैं. कॉरपोरेट एफडी में ब्याज दर बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा होती है.

आमतौर पर कॉरपोरेट एफडी का मेच्योरिटी पीरियड 1 से 5 साल तक होता है. आप अपनी सहूलियत के मुताबिक कोई भी अवधि चुन सकते हैं. हालांकि, अलग-अलग समय के लिए उसी हिसाब से ब्याज दर भी अलग-अलग हो सकती है. जिस तरह बैंकों में वरिष्ठ नागरिकों को अतिरिक्त ब्याज मिलता है, वैसे ही कॉरपोरेट एफडी में भी वरिष्ठ नागरिकों को कुछ अतिरिक्त ब्याज दिया जाता है. 

कितना जोखिम है इन एफडी में?

बैंक एफडी के चलन में ज्यादा होने का कारण यह है कि यह बेहद सुरक्षित है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सख्त नियमों का बैंक एफडी में पालन किया जाता है. अगर बैंक दिवालिया भी हो जाता है तो ऐसी स्तिथि में भी एफडी (FD) राशि चाहे जितनी हो, एक लाख रुपए तक की राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के तहत सुरक्षित रहती है.

वहीं दूसरी ओर कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट पर इस तरह की सुरक्षा नहीं मिलती है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं की आपका इन्वेस्टमेंट बेहद जोखिम भरा हो. जब भी आप कसी कंपनी में निवेश करें तो उस कंपनी की क्रेडिट रेटिंग एक बार जरूर चेक करें.