केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने रिजर्व बैंक (RBI) और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से एक बार फिर फंसे कर्ज के बारे में रघुराम राजन की चिट्ठी और जानबूझकर कर्ज अदा नहीं करने वालों (विलफुल डिफॉल्‍टर्स) के नाम का खुलासा करने को कहा है. आयोग ने अपने 66 पेज के विस्तृत आदेश में RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा फंसे कर्ज के बारे में भेजी गई चिट्ठी का खुलासा करने के निर्देश का पालन नहीं करने को लेकर PMO की खिंचाई की है.

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सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि मामले में यदि कोई आपत्ति जानकारी देने को लेकर मिली हुई छूट पर आधारित है तो PMO को ऐसे प्रावधान के बारे में बताना चाहिए और इनकार करने के पीछे के तर्क को बताना चाहिए. उन्होंने कहा कि PMO ने राजन की चिट्ठी का खुलासा करने के निर्देश को जिन तर्को के आधार पर नहीं माना है वे वैध नहीं हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. आचार्युलु जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के नाम का ब्यौरा मांगने वाले संदीप सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय का यह नैतिक, संवैधानिक और राजनीतिक दायित्व बनता है कि वह देश के नागरिकों को जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों का नाम बताए और यह भी जानकारी दी जानी चाहिए कि देश के करदाताओं के धन से उन्हें जो कर्ज दिया गया उसकी वसूली के लिए बैंकों ने क्या कदम उठाए हैं. सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना की कई श्रेणियों को रिजर्व बेंक ने बताने योग्य नहीं माना है. रिजर्व बैंक ने अपनी प्रकटीकरण नीति के तहत यह कहा है इसके लिए आरटीआई कानून के विशिष्ट प्रावधानों का उल्लेख भी किया है.