केंद्रीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज शुक्रवार को बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा की. इस दौरान उन्होंने देश में डेबिट और क्रेडिट कार्डहोल्डर्स के डेटा को सेफ रखने के बैंक के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए एक नया प्रस्ताव पेश किया है. गवर्नर ने कहा कि अब ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स भी केंद्रीय बैंक के रेगुलेशन के अंदर आएंगे. अब तक बैंक बस ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए ही नियम ले आया था, जो कल से यानी 1 अक्टूबर, 2022 से लागू हो रहे हैं.

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दास ने कहा कि ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर अब रिजर्व बैंक के नियामकीय दायरे में आएंगे. ये पेमेंट एग्रीगेटर्स दुकानों पर आमने-सामने के लेनदेन में मदद करते हैं. ‘पेमेंट एग्रीगेटर’ से मतलब वैसे सर्विस प्रोवाइडर से है, जो ‘ऑनलाइन’ पेमेंट के सभी ऑप्शन्स को एक साथ इंटीग्रेट करते हैं और उन्हें व्यापारियों के लिये एक मंच पर लाते हैं. दास ने कहा, ‘‘ऑनलाइन और ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर (पीए) के काम करने का तरीका एक जैसा है. ऐसे में मौजूदा रेगुलेशन ऑफलाइन पीए पर भी लागू करने का प्रस्ताव किया जाता है.’’

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ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स भी नहीं स्टोर कर सकेंगे कार्ड की डीटेल्स

उन्होंने कहा कि इस कदम के बाद डेटा कलेक्शन और स्टोरेज के स्टैंडर्ड का इंटीग्रेशन होगा. ऐसे में इस तरह की कंपनियां ग्राहक के क्रेडिट और डेबिट कार्ड के डीटेल्स को स्टोर नहीं कर सकेंगी.

गवर्नर ने कहा कि पेमेंट सीन में पीए की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसी वजह से इन्हें मार्च, 2020 में रेगुलेशन के तहत लाया गया था और भुगतान प्रणाली परिचालक या पेमेंट सिस्मट ऑपरेटर (पीएसओ) का दर्जा दिया गया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा रेगुलेशन सिर्फ उन पीए पर लागू होते हैं जो ऑनलाइन या ई-कॉमर्स लेनदेन में मदद करते हैं. ऑफलाइन पीए अभी तक इसके तहत नहीं आते थे.

दास ने यह भी कहा कि आरबीआई ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) के लिये इंटरनेट बैंकिंग सुविधा देने को लेकर एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को और रेशनलाइज कर रहा है.