अगले महीने संसद में पेश होने वाले बजट से बैंकिंग क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें हैं, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों. जानकार बताते हैं कि सरकार बैंकों की स्थिति मजबूत करने पर जोर दे रही है. वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों के पूंजी आधार का मूल्यांकन कर रहा है और उन्हें नियम के तहत न्यूनतम पूंजी की शर्त को पूरा करने में मदद के लिए चालू वित्त वर्ष के आम बजट में 30,000 करोड़ रुपये उपलब्ध करा सकता है. मंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को नई सरकार का पहला बजट पेश करेंगी.

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आर्थिक वृद्धि नरम हो कर 2018-19 में 6.8 प्रतिशत पर आ गई है. बजट में वृद्धि को तेज करने की चुनौती है. इसमें बैंकिंग क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान होगा. 

सरकारी बैंकों को निजी और व्यावसायिक काम के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होगी. ऋण की मांग में तेजी शु्रू हुई है. इसके अलावा आरबीआई के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे के तहत पांच कमजोर बैंकों को बासेल-3 नियमों के तहत जरूरी पूंजी बनाये रखने की भी जरूरत होगी.

अगर सरकार बैंक ऑफ बड़ौदा की तरह कुछ अन्य बैंकों के एकीकरण पर भी विचार करती है तो उसके लिए भी अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होगी.

उल्लेखनीय है कि बीओबी में देना बैंक और विजया बैंक के विलय के कारण अतिरिक्त खर्च की पूर्ति के लिए सरकार ने 5,042 करोड़ रुपये की पूंजी नये बैंक में डाली थी. सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 1,06,000 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध करायी थी. 

(इनपुट भाषा से)