रिजर्व बैंक ने NBFC को राहत देते हुए NPA से जुड़े 12 नवंबर के सर्कुलर को लागू करने के लिए 30 सितंबर 2022 का वक्त दिया है. NBFCs कंपनियों की दिक्कतों पर रिजर्व बैंक ने 30 सितंबर तक का वक्त दिया है. रिजर्व बैंक के सीमा बढ़ाने का फायदा MSME कंपनियों को होगा और कोविड की मार झेल रही कंपनियों पर तुरंत NPA का टैग नहीं लगेगा और कारोबार चलाने के लिए लोन मिलने में दिक्कत नहीं होगी. 

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12 नवंबर के सर्कुलर के बाद NBFCs कंपनियों का NPA अकाउंट टैग हटाने के लिए संपूर्ण बकाया भुगतान जरूरी है, जिसे मौजूदा माहौल में लागू करना कंपनियों के लिए काफी कठिन था. अभी तक NBFC कंपनियां NPA हुए अकाउंट में आंशिक भुगतान होने पर भी स्टैंडर्ड कैटेगरी में अकाउंट मान लेती थी लेकिन 12 नवंबर के सर्कुलर के बाद मूल, ब्याज समेत किसी भी तरह एरियर के बकाय रहने पर NPA का टैग लगा रहेगा. 

नए सर्कुलर से कंपनियों के ग्रॉस NPA में बढ़ोतरी हो रही थी और अक्टूबर से लागू होने वाले प्रॉम्ट करेक्टिव एक्शन की टाइमिंग की वजह से कई सारी कंपनियों के लिए कारोबार में दिक्कत आने वाली थी सबसे ज्यादा परेशानी माइक्रो फाइनेंस और कमर्शियल ऑटो फाइनेंस पर फोकस करने वाली एनबीएफसी कंपनियों के लिए थी. 

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क्‍या है इंडस्‍ट्री की राय

FIDC के डायरेक्टर रमन अग्रवाल के मुताबिक, कोविड के बाद MSME कंपनियों के कैशफ्लो से जुड़ी दिक्कतें है और नए नियमों से किसी कंपनी के लिए NPA अकाउंट टैग हटाने के लिए संपूर्ण बकाया भुगतान जरूरी है, लेकिन अभी तक आंशिक भुगतान की स्थिति में स्टैंडर्ड अकाउंट मान लिया जाता है क्योंकि छोटे कारोबारियो की इनकम साइकल थोड़ी अलग होती है. 

मुथूट माइक्रो फाइनेंस के CEO सदफ सईद के मुताबिक, RBI के एसेट क्लासिफिकेशन सर्कुलर के प्रभाव को तीसरी तिमाही के आंकड़ों से समझा जा सकता है. अंतर काफी ज्यादा है. HFC के लिए 50 बीपीएस से 90 बीपीएस और अन्य एनबीएफसी के लिए 1% से 6% तक है. कल के सर्कुलर में आरबीआई ने सितंबर 2022 तक का समय दिया है.