आमतौर पर, बैंक आपके खाते में मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की शर्त पर सेविंग्स अकाउंट की ऑफर करते हैं, लेकिन कुछ बैंक जीरो बैलेंस अकाउंट भी ऑफर करते हैं. इस अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी नहीं माना जाता है, इन्‍हें बेसिक सेविंग्‍स बैंक डिपॉजिट अकाउंट (Basic Savings Bank Deposit Account -BSBDA) कहा जाता है. लेकिन आम भाषा में लोग जीरो बैलेंस अकाउंट कह देते हैं. 

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आसान शब्‍दों में समझें तो ये एक ऐसा सेविंग्‍स अकाउंट होता है, जिसमें अकाउंट खुलने के बाद भी मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता नहीं होती.एचडीएफसी, एसबीआई समेत कई बैंक जीरो बैलेंस अकाउंट खोलने की सुविधा देते हैं. जीरो बैलेंस अकाउंट के तमाम फायदे हैं तो पैसा जमा करने, पैसा निकालने और बैलेंस से जुड़ी कुछ लिमिट्स भी हैं. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में-

जीरो बैलेंस अकाउंट के फायदे

  • जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि जीरो बैलेंस अकाउंट में आप मिनिमम बैलेंस न भी रखें, तो भी आपको किसी तरह की पेनल्‍टी नहीं देनी होती है और न ही अकाउंट खुलवाते समय पैसा जमा करना अनिवार्य होता है. यही इस अकाउंट का मुख्‍य आकर्षण है. जबकि सामान्य सेविंग्‍स अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रखने पर पेनल्टी लगती है.
  • जीरो बैलेंस अकाउंट को आप सिर्फ आधार कार्ड और पैन कार्ड की मदद से भी खोल सकते हैं. अगर आपके पास कोई डॉक्‍यूमेंट नहीं है तो भी आपकी घोषणा से अकाउंट खोला जा सकता है.
  • जीरो बैलेंस अकाउंट को जॉइंट अकाउंट के तौर पर भी खुलवा सकते हैं. इसमें सभी अकाउंट धारकों को अपने डॉक्‍यूमेंट्स जमा करने पड़ते हैं.
  • इसमें अकाउंट होल्‍डर को बैंक पासबुक, बेसिक रुपे एटीएम-कम-डेबिट कार्ड, मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा भी दी जाती है. हालांकि मुफ्त चेकबुक नहीं दी जाती.
  • जीरो बैलेंस अकाउंट खुलवाने पर आप सामान्‍य सेविंग्‍स खाते की तरह आधार कार्ड की मदद से पैसे निकाल सकते हैं और ट्रांसफर कर सकते हैं, साथ ही UPI एप की मदद से भी पैसे निकालने या ट्रांसफर करने की सुविधा भी इसमें शामिल होती है.
  • इसमें NEFT/RTGS जैसे इलेक्ट्रॉनिक चैनल से कैश ट्रांजेक्‍शन पर कोई चार्ज नहीं देना होता है. साथ ही अगर आप कोई बंद अकाउंट को चालू कराते हैं तो उसके लिए भी आपको चार्ज नहीं देना होता है. वहीं अगर आप अपना जीरो बैलेंस अकाउंट क्लोज कराते हैं तो इसके लिए भी कोई चार्ज नहीं देना होता है. 

ये हैं लिमिट्स

  • जीरो बैलेंस अकाउंट होल्‍डर किसी एक financial year के दौरान, कुल मिलाकर 1 लाख रुपए तक ही जमा कर सकते हैं. अगर वो इससे ज्यादा रुपए जमा करते हैं तो उन्‍हें इस अकाउंट को पूरे KYC डाक्यूमेंट्स जमा करके, सामान्य सेविंग अकाउंट में बदलवाना पड़ता है.
  • जीरो-बैलेंस अकाउंट में आपके मंथली ट्रांसक्शन नंबर की एक लिमिट होती है. अगर आप परमिटेड नंबर से ज़्यादा विदड्रॉल करते हैं, तो बैंक आपके जीरो-बैलेंस अकाउंट को एक रेगुलर सेविंग्स अकाउंट में बदल देता है.
  • जीरो बैलेंस अकाउंट में आपको रेगुलर सेविंग्स अकाउंट की तरह FD, RD में  निवेश शुरू करने का ऑप्शन्स नहीं मिलता है. यहां तक ​​कि डीमैट अकाउंट खोलने का भी ऑप्शन भी नहीं दिया जाता है.